चश्मे तो हम शौक के लिए पहनते है,
वरना कीसी को पटाने के लिए हमारे आंखों के इशारे ही काफी है।
डरपोक है वो लोग जो Online नहीं आते,
साला जिगर चाहिए, टाइम बरबाद करने के।
बात संस्कार और आदर की होती है,
वरना जो सुन सकता है, वो सुना भी सकता है।
खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं,
हमें क्या रोकेंगे ये ज़माने वाले,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं।
तूफ़ान में ताश के महल नहीं बनते,
रोने से बिगड़े मुकद्दर नहीं बनते,
सारी दुनिया को जीतने का दम रख ऐ बन्दे,
क्यूंकि एक हार से लोग फ़कीर,
और एक जीत से सिकंदर नहीं बनते।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती।
अखबार वाला भी हजार बार सोच कर ये खबर छापता है,
क्यों कि मिया भाई से तो सारा शहर कांपता है।
जो बेहतर होते है उन्हें इनाम मिलता है,
जो बेहतरीन होते है उनके नाम पर इनाम होता है।
रहते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते,
कुछ लोग जलते हैं मुझसे बस खाक नहीं होते।