हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
हथियार तो शौक के लिए रखे जाते हैं,
खौफ के लिए तो आँखें ही काफी हैं।
अगर फितरत हमारी सेहने की ना होती,
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की ना होती।
हम आज भी अपने हुनर मे दम रखते है,
होश उड़ जाते है लोगो के जब हम कदम रखते है।
अच्छी नज़र से देखों तो मुझमे भी संस्कार मिलेंगे,
वरना जुते और लात मिलेंगे।
हम किसी का भी कर्ज़ नही रखा करते हैं,
एक सुनते है और दो सुना दिया करते हैं।
कुछ लोग हमारी हैसियत पूछने लगे,
उनकी शख्सियत बिक जाए इतनी हैसियत है हमारी।
हमसे उलझना कुछ ऐसा है,
जैसे बारूद के ढेर पर बैठकर चिंगारी से खेलना।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
हम तेरी गली में आएंगे कोई रोक के दिखाए,
हम मोहब्बत भी तुझी से करेंगे, साला कोई टोक के दिखाये।