तूफ़ान में ताश के महल नहीं बनते,
रोने से बिगड़े मुकद्दर नहीं बनते,
सारी दुनिया को जीतने का दम रख ऐ बन्दे,
क्यूंकि एक हार से लोग फ़कीर,
और एक जीत से सिकंदर नहीं बनते।
दुनियादारी की चादर ओढ़ी है,
पर जिस दिन दिमाग सटका ना,
इतिहास तो इतिहास, भूगोल भी बदल देंगे।
जीने वाले जी लेते है ज़िन्दगी शान से,
और जलने वाले जलकर राख हो जाते है श्मशान में।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
हमसे उलझना कुछ ऐसा है,
जैसे बारूद के ढेर पर बैठकर चिंगारी से खेलना।
हम तो ऐसी लड़की पटायेंगे, जो हो सबसे हटके,
जिसे देखते ही दिल को लगे 440 Volt के झटके।
बारुद जैसी है अपुन की शख्सियत,
जहा से गुजरती है, लोग जलना शुरु कर देते हैं।
खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं,
हमें क्या रोकेंगे ये ज़माने वाले,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,
आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देता हूँ।