रेस वो लोग लगाते है, जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो,
हम तो वो खिलाडी है, जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है।
बारुद जैसी है अपुन की शख्सियत,
जहा से गुजरती है, लोग जलना शुरु कर देते हैं।
अगर फितरत हमारी सेहने की ना होती,
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की ना होती।
जिन तूफानों में लोगो के झोपड़े उड़ जाते है,
उन तूफानों में तो हम कपड़े सुखाते हैं।
खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं,
हमें क्या रोकेंगे ये ज़माने वाले,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं।
कुछ लोग हमारी हैसियत पूछने लगे,
उनकी शख्सियत बिक जाए इतनी हैसियत है हमारी।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
हम तेरी गली में आएंगे कोई रोक के दिखाए,
हम मोहब्बत भी तुझी से करेंगे, साला कोई टोक के दिखाये।
सनम तेरी नफरत में वो दम नहीं,
जो मेरी चाहत को मिटा दे,
ये महोब्बत है कोई खेल नहीं,
जो आज हंस के खेल और कल रो के भुला दिया।
जहाँ से तेरी बदमाशी ख़तम होती हैं,
वह से मेरी नवाबी शुरू होती हैं।
ख़ौफ़ और खून हमेशा आँखों में रखो क्योंकि,
हथियारों से सिर्फ दुश्मनो की हड्डिया टूटती है, हौसले नहीं।
हमसे उलझना कुछ ऐसा है,
जैसे बारूद के ढेर पर बैठकर चिंगारी से खेलना।
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती।
जीने वाले जी लेते है ज़िन्दगी शान से,
और जलने वाले जलकर राख हो जाते है श्मशान में।
दुनियादारी की चादर ओढ़ी है,
पर जिस दिन दिमाग सटका ना,
इतिहास तो इतिहास, भूगोल भी बदल देंगे।
अच्छी नज़र से देखों तो मुझमे भी संस्कार मिलेंगे,
वरना जुते और लात मिलेंगे।
डरपोक है वो लोग जो Online नहीं आते,
साला जिगर चाहिए, टाइम बरबाद करने के।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
उस जगह पर हमेशा खामोश रहना,
जहाँ दो कौड़ी की लोग अपनी हैसियत के गुण गाते है।
तूफ़ान में ताश के महल नहीं बनते,
रोने से बिगड़े मुकद्दर नहीं बनते,
सारी दुनिया को जीतने का दम रख ऐ बन्दे,
क्यूंकि एक हार से लोग फ़कीर,
और एक जीत से सिकंदर नहीं बनते।