तूफ़ान में ताश के महल नहीं बनते,
रोने से बिगड़े मुकद्दर नहीं बनते,
सारी दुनिया को जीतने का दम रख ऐ बन्दे,
क्यूंकि एक हार से लोग फ़कीर,
और एक जीत से सिकंदर नहीं बनते।
खेल ताश का हो या जिंदगी का,
अपना इक्का तब ही दिखाना, जब सामने बादशाह हो।
पैदा तो में भी शरीफ हुआ था,
पर शराफत से अपनी कभी नही बनी।
कुछ लोग मिलके कर रहे है मेरी बुराई।
तुम बेटे इतने सारे और मै अकेला मचा रहा हूँ तबाही।
हथियार तो शौक के लिए रखे जाते हैं,
खौफ के लिए तो आँखें ही काफी हैं।
तजुर्बे ने शेर को खामोश रहना सिखाया,
क्यूंकि दहाड़ कर कभी शिकार नहीं किया जाता।
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,
आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देता हूँ।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
बारुद जैसी है अपुन की शख्सियत,
जहा से गुजरती है, लोग जलना शुरु कर देते हैं।
अखबार वाला भी हजार बार सोच कर ये खबर छापता है,
क्यों कि मिया भाई से तो सारा शहर कांपता है।
भाई बोलने का हक़ मैंने सिर्फ दोस्तों को दिया है,
वरना दुश्मन तो आज भी हमें बाप के नाम से पहचानते हैं।