तूफ़ान में ताश के महल नहीं बनते,
रोने से बिगड़े मुकद्दर नहीं बनते,
सारी दुनिया को जीतने का दम रख ऐ बन्दे,
क्यूंकि एक हार से लोग फ़कीर,
और एक जीत से सिकंदर नहीं बनते।
ख़ौफ़ और खून हमेशा आँखों में रखो क्योंकि,
हथियारों से सिर्फ दुश्मनो की हड्डिया टूटती है, हौसले नहीं।
दहशत बनाओ तो हमारे जैसी,
वरना ख़ाली डराना तो कुत्ते भी जानते है।
जिन तूफानों में लोगो के झोपड़े उड़ जाते है,
उन तूफानों में तो हम कपड़े सुखाते हैं।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
पैदा तो में भी शरीफ हुआ था,
पर शराफत से अपनी कभी नही बनी।
जो बेहतर होते है उन्हें इनाम मिलता है,
जो बेहतरीन होते है उनके नाम पर इनाम होता है।
तेरी बदमाशी का सूरज चाहे जितना मर्जी बुलन्दी पर चमके,
हमारी हदों में चमका तो डूब जायेगा।
रेस वो लोग लगाते है, जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो,
हम तो वो खिलाडी है, जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है।