कटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैं,
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती हैं।
था यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुम,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
उम्मीद न रखना किसी से सच्चे प्यार की,
बहुत प्यार से धोखा देते हैं, शिद्दत से चाहने वाले।
कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर,
ढह जाता है हकीकत की बरसात में अक्सर।
इस दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो दोस्तो,
इंतज़ार भी उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।
दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी हो जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।
अब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलीं,
जाने किस मोड़ पे ले आई मोहब्बत हमको।
बीते दिनों की भूली हुई बात की तरह,
आँखों में जागता है कोई रात की तरह,
उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,
वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।