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Home Ummeed Shayari Ummeed Shayari in Hindi - उम्मीद शायरी इन हिंदी

उम्मीदें तैरती रहती हैं कश्तियां डूब जाती हैं

उम्मीदें तैरती रहती हैं कश्तियां डूब जाती हैंउम्मीदें तैरती रहती हैं, कश्तियां डूब जाती हैं,
कुछ घर सलामत रहते हैं, आंधिया जब भी आती हैं,
बचा ले जो हर तूफां से, उसे “आस” कहते हैं,
बड़ा मज़बूत है ये धागा, जिसे “विश्वास” कहते है।

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मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती हैमुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर क़दमों में अच्छा नहीं लगता।

ना पूछना कैसे गुज़रता है पल भी तेरे बिनाना पूछना कैसे गुज़रता है पल भी तेरे बिना,
कभी देखने की हसरत में कभी मिलने की उम्मीद में।

बीते दिनों की भूली हुई बात की तरहबीते दिनों की भूली हुई बात की तरह,
आँखों में जागता है कोई रात की तरह,
उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,
वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।

उम्मीद का लिबास तार तार ही सही पर सी लेना चाहिएउम्मीद का लिबास तार-तार ही सही, पर सी लेना चाहिए,
कौन जाने कब किस्मत माँग ले, इसको सर छुपाने के लिए ।

उम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करतेउम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करते,
साहिल अगर दूर हो तो रोया नहीं करते,
जो रखते हैं दिल में हौसला,
वो जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते ।

उम्मीद तो बाँध जाती तस्कीन तो हो जातीउम्मीद तो बाँध जाती तस्कीन तो हो जाती,
वादा ना वफ़ा करते वादा तो किया होता।

न मंज़िल है न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीदन मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद,
ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है।

उम्मीद खुद से रखो कभी औरों से नहींउम्मीद खुद से रखो कभी औरों से नहीं,
यहां खुद के सिवा कोई किसी का नहीं।

यहाँ रोटी नही उम्मीद सबको जिंदा रखती हैयहाँ रोटी नही “उम्मीद” सबको जिंदा रखती है,
जो सड़कों पर भी सोते हैं ,सिरहाने ख्वाब रखते हैं।

तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत हैतुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है,
पर मुझसे तुम ये उम्मीद जिन्दगी भर मत रखना।

कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घरकच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर,
ढह जाता है हकीकत की बरसात में अक्सर।

था यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुमथा यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुम,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।

दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती हैदूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

अब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलींअब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलीं,
जाने किस मोड़ पे ले आई मोहब्बत हमको।

वो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहींवो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहीं,
खुशियाँ मेरे नसीब में नहीं और यूँ बस,
दिल रखने के लिए मुस्कुराना भी वाज़िब नहीं।

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न होतेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।

अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जानाअबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना,
उस पीपल के साये में मेरी उम्मीद अब भी बैठी है।

दिल सा दिल से दिल के पास रहे तूदिल सा, दिल से, दिल के पास रहे तू,
बस यही उम्मीद है के खास रहे तू।

करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहेकरीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी,
कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें।

हजारो उम्मीदें बंधती हैं एक निगाह परहजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।


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