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Gam Shayari in Hindi - गम शायरी इन हिंदी

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तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें,
वही आँसू, वही आहें, वही ग़म है जिधर जायें,
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता,
वही बेगाने चेहरे है कहाँ जायें किधर जायें।

ग़म में हँसने वालों को कभी रुलाया नहीं जाता,
लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता,
होने वाले हो जाते है खुद ही दिल से जुदा,
किसी को जबर्दस्ती दिल में बसाया नहीं जाता।

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ,
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ,
मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी,
सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है,
मेरे आगे मोहब्बत है तेरे आगे ज़माना है,
पुकारा है तुझे मंजिल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊं,
बिछड़ कर तेरी दुनिया से कहाँ मेरा ठिकाना है।

वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे,
जैसे कोई गम छुपा रहे थे,
बारिश में भीग के आये थे मिलने,
शायद वो आँसू छुपा रहे थे।

मुलाकात तो हुई थी उनसे एक रोज मगर,
हम उनको हाल-ए-दिल अपना सुनाते कैसे,
हमारी तकदीर में ही लिखे थे ग़म,
जख्म अपने हम उनको दिखाकर रुलाते कैसे।

ग़म ने हंसने ना दिया, ज़माने ने रोने ना दिया,
इस उलझन ने जीने ना दिया,
थक के जब सितारों से पनाह ली,
नींद आयी तो आपकी याद ने सोने ना दिया।

चाँदनी रात में बरसात बुरी लगती है,
घर में हो लाश तो बारात बुरी लगती है,
ख़ुशी में मेरे दोस्त कुछ भी कह दो,
लेकिन ग़म में तो हर बात बुरी लगती है।

ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका,
मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका,
ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया,
ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते है,
जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते है,
जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें,
मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते है।

रूठी जो ज़िंदगी तो मना लेंगे हम,
मिले जो ग़म वो सह लेंगे हम,
बस आप रहना हमेशा साथ हमारे,
तो निकलते हुए आंसूओं में भी, मुस्कुरा लेंगे हम।

माना कि प्यार किसी का मेरे पास नहीं,
मगर तुम्हें मेरी मोहब्बत का एहसास नहीं,
जाने पी गए हम कितने ग़म-ए-आंसू,
अब कुछ और पाने की प्यास नहीं।

फूल बनकर मुस्कुराना है ज़िंदगी,
मुस्कुराते हुए सब ग़म भुलाना है ज़िंदगी,
जीत का जश्न तो हर कोई मना लेता है,
हार कर खुशियां मनाना है ज़िंदगी।

जिनकी आँखें आँसुओं से नम नहीं,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई ग़म नहीं,
तुम तड़प कर रो भी दिए तो क्या हुआ,
ग़म छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं।

तेरे ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ,
ज़िंदगी तेरी चाहत में सवार लूँ,
मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह,
तमाम उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़र लूँ।

न हारा है इश्क न दुनिया थकी है,
दिया जल रहा है हवा चल रही है,
सुकून ही सुकून है खुशी ही खुशी है,
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है।

हाल-ए-दिल अपना क्या सुनाएं आपको,
ग़म से बातें करना आदत है हमारी,
लोग मरते है सिर्फ एक बार सनम,
रोज पल-पल मरना किस्मत है हमारी।

यादों में हमारी वो भी कभी खोए होंगे,
खुली आँखों से कभी वो भी सोए होंगे,
माना हँसना है अदा ग़म छुपाने की,
पर हँसते-हँसते कभी वो भी रोए होंगे।

ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले,
तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले,
एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है,
जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो ग़म नहीं मिले।

हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो गम मिलते है,
बस इसीलिए हम तुझसे अब कम मिलते है।
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है,
मेरे आगे मोहब्बत है तेरे आगे ज़माना है।

मत सताओ हमें हम सताए हुए है,
अकेला रहने का ग़म उठाये हुए है,
खिलौना समझ कर न खेलो हम से,
हम भी उसी खुदा के बनाये हुए है।

ग़म नहीं ये कि क़सम अपनी भुलाई तुमने,
ग़म तो ये है कि रकीबों से निभाई तुमने,
कोई रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कहते,
बात आपस की थी क्यूँ सब को बताई तुमने।

कर्ज गम का चुकाना पड़ा है,
रोके भी मुस्कुराना पड़ा है,
सच को सच कह दिया था,
इसी पर मेरे पीछे जमाना पड़ा है।

तेरे हसीन तस्सवुर का आसरा लेकर,
दुखों के काँटे मैं सारे समेट लेता हूँ,
तुम्हारा नाम ही काफी है राहत-ए-जां के लिए,
जिससे ग़मों की तेज हवाओं को मोड़ देता हूँ।

कुछ लुटकर कुछ लुटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ,
अब तुम याद भी आओगे फिर भी न पाओगे,
हँसते लबों से ग़म छुपाकर लौट आया हूँ।

हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले,
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले,
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें,
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दगी से पहले।

देख कर उसको अक्सर हमें ये एहसास होता है,
कभी-कभी ग़म देने वाला भी बहुत खास होता है,
ये और बात है वो हर पल नहीं होता पास हमारे,
मगर उसका दिया ग़म अक्सर हमारे पास होता है।

दो कदम तो सभी चल लेते है पर,
ज़िन्दगी भर साथ कोई नहीं निभाता,
अगर रो कर भुला सकते यादें,
तो हँसकर कोई अपने ग़म न छुपाता।

मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते है,
आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते है,
आज भी उस मोड़ पर खड़े है,जहाँ
किसी ने कहा था कि ठहरो हम अभी आते है।

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें,
वही आँसू, वही आहें, वही ग़म है जिधर जायें,
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता,
वही बेगाने चेहरे है जहाँ जायें जिधर जायें।

नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं लगता,
फ़िज़ा गई तो बहारों में ज़ी नहीं लगता,
ना पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है,
यही कहूंगा हज़ारों में ज़ी नहीं लगता।

गम यह नहीं के क़सम अपनी भुलाई तुमने,
ग़म तो ये है के रकीबों से निभाई तुमने,
कोई रंजिश थी अगर तुम को तो मुझसे कहते,
बात आपस की थी क्यों सबको बतायी तुमने।

दिल में अरमान बहुत है,
ज़िन्दगी में ग़म बहुत है,
कब की मार डालती यह दुनिया हमें,
कम्बख्त दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है।

अपनी ज़िन्दगी में मुझ को करीब समझना,
कोई ग़म आये तो उस ग़म में भी शरीक समझना,
दे देंगे मुस्कुराहट आँसुओं के बदले,
मगर हज़ारों में मुझे थोड़ा अज़ीज़ समझना।

कभी उसको हमारी यादों ने सताया होगा,
चेहरा हमारा आँखों से आँसुओं ने मिटाया होगा,
ग़म ये नहीं कि वो भूल गए होंगे हमको,
ग़म ये है कि बहुत रो रो कर भुलाया होगा।

माना कि तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा,
मगर रोने से ये ग़म कभी कम न होगा,
जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम,
अगर मोहब्बत में हमारी दम होगा।

प्यार ने ये कैसा तोहफा दे दिया,
मुझको ग़मों ने पत्थर बना दिया,
तेरी यादों में ही कट गयी ये उम्र,
कहता रहा तुझे कब का भुला दिया।

ग़म ये नहीं कि कसम अपनी भुलाई तुमने,
ग़म तो ये है कि रकीबों से निभाई तुमने,
कोई रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कहते,
बात आपस की थी क्यूँ सब को बताई तुमने।

जब तक अपने दिल में उनका ग़म रहा,
हसरतों का रात दिन मातम रहा,
हिज्र में दिल का ना था साथी कोई,
दर्द उठ-उठ कर शरीके-ग़म रहा।

कौन अंदाजा मेरे ग़म का लगा सकता है,
कौन सही राह दिखा सकता है,
किनारे वालो तुम उसका दर्द क्या जानो,
डूबने वाला ही गहराई बता सकता है।

ना मिलता ग़म तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते,
चमन होती अगर दुनिया तो वीराने कहाँ जाते,
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई गैर तो निकला,
सभी होते अगर अपने तो बेगाने कहाँ जाते।

किसी ने जैसे कसम खाई हो सताने की,
हमीं पे खत्म है सब गर्दिशें जमाने की,
सुकून तो खैर हमें नसीब क्या होगा,
कहो अभी भी हिम्मत है ग़म उठाने की।

बिक गये जब तेरे लब तुझको क्या शिकवा अगर,
ज़िंदगी बादा-ओ-सागर में बहलाई गई,
ऐ ग़मे-दुनिया तुझे क्या इल्म तेरे वास्ते,
किन-किन बहानों से तबियत राह पर लाई गई।

तुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमें कह दो चले जाओ जो हम अच्छे नहीं लगते,
हमें वो ज़ख्म दो जाना जो सारी उम्र ना भर पायें,
जो जल्दी भर के मिट जाएं वो ज़ख्म अच्छे नहीं लगते।

बिछड़ गए है जो उनका साथ क्या मांगू,
ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या मांगू,
वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें,
अपने अकेले के लिए कायनात क्या मांगू।

कुछ मोहब्बत को न था चैन से रखना मंजूर,
और कुछ उन की इनायत ने जीने न दिया,
हादसा है कि तेरे सर पर इल्ज़ाम आया,
वाकया है कि तेरे ग़म ने मुझे जीने न दिया।

जब भी करीब आता हूँ बताने के लिए,
जिंदगी दूर कर देती है सताने के लिए,
महफ़िलों की शान न समझना मुझे,
मैं अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिए।

सोच सोचकर उम्र क्यूँ कम करूँ,
वो नहीं मिला तो करूँ गम करूँ,
ना हुआ ना सही दीदार उनका,
किस लिए भला आँखें नम करूँ।

देख कर उसको अक्सर हमें एहसास होता है,
कभी कभी ग़म देने वाला भी बहुत खास होता है,
ये और बात है वो हर पल नहीं होता पास हमारे,
मगर उसका दिया ग़म अक्सर हमारे पास होता है।

उन लोगों का क्या हुआ होगा,
जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा,
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने,
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा।




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