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Home Ummeed Shayari Ummeed Shayari in Hindi - उम्मीद शायरी इन हिंदी

उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये

उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जायेउम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी हो जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।

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बुरे वक्त में किसी से कोई उम्मीद मत रखोबुरे वक्त में किसी से कोई उम्मीद मत रखो,
क्योकिं समझौते शेर को भी कुत्ता बना देते हैं।

उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जायेउम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी हो जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।

करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहेकरीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी,
कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें।

तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिएतपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिए,
सदियों से इन्सान का अपने आपको छलना जारी है।

उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैंउसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,
उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं,
आएगी आज भी वो सपने में यारो,
बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं।

दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती हैदूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

ना पूछना कैसे गुज़रता है पल भी तेरे बिनाना पूछना कैसे गुज़रता है पल भी तेरे बिना,
कभी देखने की हसरत में कभी मिलने की उम्मीद में।

अभी कुछ वक्त बाकी है अभी उम्मीद कायम हैअभी कुछ वक्त बाकी है, अभी उम्मीद कायम है,
कहीं से लौट आओ तुम, मोहब्बत सांस लेती है।

पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँपता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ?
क्योंकि मैं खुद के सिवा किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ,
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

अब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलींअब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलीं,
जाने किस मोड़ पे ले आई मोहब्बत हमको।

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैंउलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं,
ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं।

इतना भी मत रुठ मुझसे कि तुझे मनाने की उम्मीदइतना भी मत रुठ मुझसे,
कि तुझे मनाने की उम्मीद ही खत्म हो जाए।

सुना है हमने भी उम्मीद पे जीता है जमानासुना है हमने भी, उम्मीद पे जीता है जमाना,
क्या करे वो जिसकी कोई उम्मीद ही न हो।

तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत हैतुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है,
पर मुझसे तुम ये उम्मीद जिन्दगी भर मत रखना।

था यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुमथा यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुम,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।

उम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करतेउम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करते,
साहिल अगर दूर हो तो रोया नहीं करते,
जो रखते हैं दिल में हौसला,
वो जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते ।

अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भलाअब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला,
मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।

अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जानाअबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना,
उस पीपल के साये में मेरी उम्मीद अब भी बैठी है।

उम्मीद खुद से रखो कभी औरों से नहींउम्मीद खुद से रखो कभी औरों से नहीं,
यहां खुद के सिवा कोई किसी का नहीं।


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