अभी उसके लौट आने की उम्मीद बाकी है,
किस तरह से मैं अपनी आँखें मूँद लूँ।
बीते दिनों की भूली हुई बात की तरह,
आँखों में जागता है कोई रात की तरह,
उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,
वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।
उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,
उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं,
आएगी आज भी वो सपने में यारो,
बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं।
दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है,
पर मुझसे तुम ये उम्मीद जिन्दगी भर मत रखना।
उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यहाँ,
इस घर में रौशनी का बस यही इंतज़ाम है।
उम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करते,
साहिल अगर दूर हो तो रोया नहीं करते,
जो रखते हैं दिल में हौसला,
वो जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते ।
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है,
गर हौसला हो तो हर मौज में किनारा है,
रात तो वक्त की पाबंद है, ढल जायेगी,
देखना ये है कि चिरागों का सफर कितना है।
और दोस्ती जो चाहो, चले ता-उम्र,
तो दोस्तों से कोई भी,उम्मीद ना रखें।
था यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुम,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
दीवानगी हो, अक़्ल हो, उम्मीद हो कि आस,
अपना वही है, वक़्त पे जो काम आ गया।
इस दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो दोस्तो,
इंतज़ार भी उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
ना पूछना कैसे गुज़रता है पल भी तेरे बिना,
कभी देखने की हसरत में कभी मिलने की उम्मीद में।
उम्मीदों की आग जब हद से ज्यादा हो,
बुझती है, सिर्फ अश्कों की बारिश से।
कभी बादल,कभी बारिश,कभी उम्मीद के झरने,
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला।
अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला,
मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।
बुरे वक्त में किसी से कोई उम्मीद मत रखो,
क्योकिं समझौते शेर को भी कुत्ता बना देते हैं।
करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी,
कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें।
मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर क़दमों में अच्छा नहीं लगता।
हजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।