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Home Ummeed Shayari Ummeed Shayari in Hindi - उम्मीद शायरी इन हिंदी

अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना

अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जानाअबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना,
उस पीपल के साये में मेरी उम्मीद अब भी बैठी है।

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हजारो उम्मीदें बंधती हैं एक निगाह परहजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।

न मंज़िल है न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीदन मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद,
ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है।

वो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहींवो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहीं,
खुशियाँ मेरे नसीब में नहीं और यूँ बस,
दिल रखने के लिए मुस्कुराना भी वाज़िब नहीं।

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँचीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ,
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ।

दिल सा दिल से दिल के पास रहे तूदिल सा, दिल से, दिल के पास रहे तू,
बस यही उम्मीद है के खास रहे तू।

ज़्यादा उम्मीद मत लगा इंसान ही तो हैज़्यादा उम्मीद मत लगा इंसान ही तो है,
थोड़ा फासला भी रख दुनिया ही तो है।

सुना है हमने भी उम्मीद पे जीता है जमानासुना है हमने भी, उम्मीद पे जीता है जमाना,
क्या करे वो जिसकी कोई उम्मीद ही न हो।

दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तोंदिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तों,
कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है।

अभी तक है उसके लौट के आने की उम्मीदअभी तक है उसके लौट के आने की उम्मीद,
अभी तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह,
लाख ये चाहा कि उसे भूल जाऊं पर,
हौंसले अपनी जगह, बेबसी अपनी जगह।

तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत हैतुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है,
पर मुझसे तुम ये उम्मीद जिन्दगी भर मत रखना।

दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती हैदूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न होतेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।

दीवानगी हो अक़्ल हो उम्मीद हो कि आसदीवानगी हो, अक़्ल हो, उम्मीद हो कि आस,
अपना वही है, वक़्त पे जो काम आ गया।

अभी उसके लौट आने की उम्मीद बाकी हैअभी उसके लौट आने की उम्मीद बाकी है,
किस तरह से मैं अपनी आँखें मूँद लूँ।

कटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैंकटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैं,
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती हैं।

और दोस्ती जो चाहो चले ता-उम्रऔर दोस्ती जो चाहो, चले ता-उम्र,
तो दोस्तों से कोई भी,उम्मीद ना रखें।

उम्मीदें तैरती रहती हैं कश्तियां डूब जाती हैंउम्मीदें तैरती रहती हैं, कश्तियां डूब जाती हैं,
कुछ घर सलामत रहते हैं, आंधिया जब भी आती हैं,
बचा ले जो हर तूफां से, उसे “आस” कहते हैं,
बड़ा मज़बूत है ये धागा, जिसे “विश्वास” कहते है।

यहाँ रोटी नही उम्मीद सबको जिंदा रखती हैयहाँ रोटी नही “उम्मीद” सबको जिंदा रखती है,
जो सड़कों पर भी सोते हैं ,सिरहाने ख्वाब रखते हैं।

अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जानाअबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना,
उस पीपल के साये में मेरी उम्मीद अब भी बैठी है।

उम्मीदों की आग जब हद से ज्यादा होउम्मीदों की आग जब हद से ज्यादा हो,
बुझती है, सिर्फ अश्कों की बारिश से।


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