था यकीं मुझे भी कि भूल जाओगे तुम,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
बीते दिनों की भूली हुई बात की तरह,
आँखों में जागता है कोई रात की तरह,
उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,
वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।
उम्मीद तो बाँध जाती तस्कीन तो हो जाती,
वादा ना वफ़ा करते वादा तो किया होता।
उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी हो जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।
उम्मीदों की आग जब हद से ज्यादा हो,
बुझती है, सिर्फ अश्कों की बारिश से।
करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी,
कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें।
कभी बादल,कभी बारिश,कभी उम्मीद के झरने,
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला।
उम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करते,
साहिल अगर दूर हो तो रोया नहीं करते,
जो रखते हैं दिल में हौसला,
वो जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते ।
बुरे वक्त में किसी से कोई उम्मीद मत रखो,
क्योकिं समझौते शेर को भी कुत्ता बना देते हैं।
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है,
गर हौसला है तो हर मौज में किनारा है।
उम्मीद का लिबास तार-तार ही सही, पर सी लेना चाहिए,
कौन जाने कब किस्मत माँग ले, इसको सर छुपाने के लिए ।
हजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।
कटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैं,
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती हैं।
ज़्यादा उम्मीद मत लगा इंसान ही तो है,
थोड़ा फासला भी रख दुनिया ही तो है।
और दोस्ती जो चाहो, चले ता-उम्र,
तो दोस्तों से कोई भी,उम्मीद ना रखें।
उम्मीद खुद से रखो कभी औरों से नहीं,
यहां खुद के सिवा कोई किसी का नहीं।
अभी कुछ वक्त बाकी है, अभी उम्मीद कायम है,
कहीं से लौट आओ तुम, मोहब्बत सांस लेती है।
दूर हो के तुमसे ज़िंदगी सज़ा सी लगती है,
यह साँसे भी जैसे मुझसे नाराज सी लगती हैं,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर,
ढह जाता है हकीकत की बरसात में अक्सर।
हौसले के तरकश में,
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो,
हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की उम्मीद ज़िंदा रखो।