उम्मीद की कश्ती को डुबाया नहीं करते,
साहिल अगर दूर हो तो रोया नहीं करते,
जो रखते हैं दिल में हौसला,
वो जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते ।
कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर,
ढह जाता है हकीकत की बरसात में अक्सर।
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं,
ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं।
उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,
उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं,
आएगी आज भी वो सपने में यारो,
बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं।
अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला,
मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।
बीते दिनों की भूली हुई बात की तरह,
आँखों में जागता है कोई रात की तरह,
उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,
वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।
करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी,
कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें।
दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है ऐ दोस्तों,
कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है।
वो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहीं,
खुशियाँ मेरे नसीब में नहीं और यूँ बस,
दिल रखने के लिए मुस्कुराना भी वाज़िब नहीं।
उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यहाँ,
इस घर में रौशनी का बस यही इंतज़ाम है।