दोस्तों की दोस्ती में कभी कोई रूल नहीं होता है,
और ये सिखाने के लिए कोई स्कूल नहीं होता है।
दोस्ती वो नहीं जो जान देती है,
दोस्ती वो भी नहीं जो मुस्कान देती है,
अरे सच्ची दोस्ती तो वो है,
जो पानी में गिरा हुआ आंसू भी पहचान लेती है।
लड़कियों से क्या दोस्ती करना
जो पल भर में छोडकर जाती है,
दोस्ती करना है तो लड़कों से करो
जो मरने के बाद भी कंधे पर ले जाते हैं।
दोस्ती यकीन पर टिकी होती है,
यह दिवार बड़ी मुश्किल से खड़ी होती है,
कभी फुरसत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तो की,
दोस्ती खून के रिश्तो से बड़ी होती है।
दिल से दिल कभी जुदा नहीं होते,
यूं ही हम किसी पर फ़िदा नहीं होते,
मोहब्बत से बढ़कर तो दोस्ती रिश्ता है,
क्योंकि दोस्त कभी बेवफा नहीं होते।
दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है,
दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है,
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ,
वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है।
सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती,
न करेंगे किसी से वादा,
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की,
करना पड़ा दोस्ती का वादा।
कौन कहता है की दोस्ती-यारी बर्बाद करती है,
कोई निभाने वाला हो तो दुनिया याद करती है।
दोस्ती की वजह नहीं होती,
दोस्ती सजा नहीं होती,
दोस्ती में होती है ईमानदारी,
दोस्ती में दुनियादारी नहीं होती,
दोस्त जान से प्यारा होता है,
दोस्त से जान प्यारी नहीं होती।
उम्र से कोई लेना देना नहीं होता,
जहां विचार मिलते हैं वहां सच्ची दोस्ती होती है।
फासले मिटा कर आपस में प्यार रखना,
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा बरकरार रखना,
बिछड़ जाए कभी आपसे हम,
आँखों मैं हमेशा हमारा इंतज़ार रखना।
इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है,
दोस्ती कभी बड़ी नही होती,
बल्कि दोस्ती निभाने वाले हमेशा बड़े होते है।
तेरी दोस्ती में ज़िंदगी में तूफ़ान मचाएंगे,
तेरी दोस्ती में दिल के अरमान सजायेंगे,
अगर तेरी दोस्ती ज़िंदगी भर साथ दे,
तो हम दोस्ती में मौत को भी पीछे छोड़ जायेंगे।
सच्ची है मेरी दोस्ती, आजमा के देखलो,
करके यकीं मुझ पे, मेरे पास आ के देखलो.
बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग,
जितनी बार चाहे आग लगा कर देखलो।
क्या फ़र्क़ है दोस्ती और मोहब्बत में?
रहते तो दोनों दिल में ही है लेकिन,
फ़र्क़ बस इतना है, बरसों बाद मिलने पर,
मोहब्बत नजर चुरा लेती है और दोस्त सीने से लगा लेता है।
सुदामा ने कृष्ण से पुछा,
“दोस्ती” का असली मतलब क्या है?,
कृष्ण ने हंसकर कहा जहाँ “मतलब” होता है,
वहाँ दोस्ती कहाँ होती है।
कितने कमाल की होती है ना दोस्ती,
वजन होता है, लेकिन बोझ नही होती।
भरी महफ़िल में दोस्ती का जिक्र हुआ,
हमने तो सिर्फ आपकी और देखा,
और लोग वाह-वाह कहने लगे।
दोस्ती का फर्ज इस तरह निभाया जाये,
अगर रहीम रहे भूखा तो राम से भी ना खाया जाये।
अगर तेरी दोस्ती बिकी
तो पहले खरीददार हम ही होंगे,
तुझे खबर भी ना होगी तेरी कीमत पर,
तुझे पाकर सबसे अमीर भी हम होंगे।