दोस्तों की दोस्ती में कभी कोई रूल नहीं होता है,
और ये सिखाने के लिए कोई स्कूल नहीं होता है।
दोस्ती का फर्ज इस तरह निभाया जाये,
अगर रहीम रहे भूखा तो राम से भी ना खाया जाये।
प्यार से प्यारी है तेरी दोस्ती,
जान हमारी है तेरी दोस्ती,
मिस कॉल का सिरप और sms का टेबलेट देते रहना,
क्यों की एक खूबसूरत बीमारी है तेरी दोस्ती।
फर्क तो अपनी सोच मे है जनाब,
वर्ना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नही होती।
दोस्ती दर्द नहीं खुशियों की सौगात है,
किसी अपने का ज़िंदगी भर का साथ है,
ये तो दिलों का वो खूबसूरत एहसास है,
जिसके दम से रौशन ये सारी कायनात है।
सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती,
न करेंगे किसी से वादा,
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की,
करना पड़ा दोस्ती का वादा।
भरी महफ़िल में दोस्ती का जिक्र हुआ,
हमने तो सिर्फ आपकी और देखा,
और लोग वाह-वाह कहने लगे।
अगर तेरी दोस्ती बिकी
तो पहले खरीददार हम ही होंगे,
तुझे खबर भी ना होगी तेरी कीमत पर,
तुझे पाकर सबसे अमीर भी हम होंगे।
नादान से दोस्ती कीजिये,
क्योंकि मुसीबत के वक्त,
कोई भी समझदार साथ नहीं देता।
तेरी दोस्ती में ज़िंदगी में तूफ़ान मचाएंगे,
तेरी दोस्ती में दिल के अरमान सजायेंगे,
अगर तेरी दोस्ती ज़िंदगी भर साथ दे,
तो हम दोस्ती में मौत को भी पीछे छोड़ जायेंगे।
खुदा ने कहा दोस्ती न कर, दोस्तों की भीड़ में खो जाएगा,
मैने कहा कभी जमीन पर आकर मेरे दोस्तों से तो मिल,
तू भी ऊपर जाना भूल जाएगा।
बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई होती है,
जैसे ही ये आता है फ़ालतू के दोस्त विदा हो जाते है,
सच्ची दोस्ती एक अच्छे स्वास्थ की तरह है,
खोने पर ही उसकी महत्वता पता चलती है।
फूलों की दोस्ती से काँटों की दोस्ती अच्छी है,
जो हमें कठिन से कठिन रास्तों पर चलने की प्रेरणा देती है।
क्या फ़र्क़ है दोस्ती और मोहब्बत में?
रहते तो दोनों दिल में ही है लेकिन,
फ़र्क़ बस इतना है, बरसों बाद मिलने पर,
मोहब्बत नजर चुरा लेती है और दोस्त सीने से लगा लेता है।
मैं कोई रिश्ता नहीं हूँ, जो निभाओगे मुझे,
बस दोस्त हूँ, दोस्ती से ही पाओगे मुझे।
सच्ची है मेरी दोस्ती, आजमा के देखलो,
करके यकीं मुझ पे, मेरे पास आ के देखलो.
बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग,
जितनी बार चाहे आग लगा कर देखलो।
महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती,
ना हो इश्क तो जिंदगी खत्म नहीं होती,
साथ अगर हो जिंदगी में दोस्तों का,
तो जिंदगी जन्नत से कम नहीं होती।
ये दोस्ती का गणित है साहब,
यहाँ 2 में से 1 गया तो कुछ नहीं बचता।
सुदामा ने कृष्ण से पुछा,
“दोस्ती” का असली मतलब क्या है?,
कृष्ण ने हंसकर कहा जहाँ “मतलब” होता है,
वहाँ दोस्ती कहाँ होती है।
दिल से दिल कभी जुदा नहीं होते,
यूं ही हम किसी पर फ़िदा नहीं होते,
मोहब्बत से बढ़कर तो दोस्ती रिश्ता है,
क्योंकि दोस्त कभी बेवफा नहीं होते।