एक प्यारी सी दिल को चुराने की,
एक इरादा रगों में बस जाने की,
चांद सा हुस्न और तारे सा चमक,
दिल में है हसरत तुम्हे पाने की।
उजाले की चादर ने चाँद को सुलाया है,
सूरज को दिन का मेहमान बनाया है,
कोई इंतज़ार कर रहा है मेरे मैसेज का,
ठंडी हवाओं ने अभी-अभी मुझे बताया है।
एक अदा आपका दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
क्यों हर कोई उस चांद से ही दिल लगाना चाहता है,
शहर का हर एक सितारा उसका होना चाहता है,
खुश हैं हम दूर रहकर उससे क्योंकि,
चांद दूर से ज्यादा खूबसूरत नजर आता है।
हर सपना ख़ुशी पाने के लिए पूरा नहीं होता,
कोई किसी के बिना अधूरा नहीं होता,
जो चाँद रौशन करता है रात भर को,
हर रात वो भी पूरा नहीं होता।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उस पर शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफापर,
तभी चाँद पर तारों का पहरा है।
चाँद की तरह ही खिले तेरी मुस्कान,
तारो की तरह सजे तेरे अरमान,
तू उदास ना हो कभी,
तेरी जिंदगी में खुशियाँ हो सभी।
काश तु चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा भी होता,
लोग तुम्हे सिर्फ दूर से ही निहारते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ सिर्फ हमारा होता।
चिराग से अंधेरे दूर हो जाते,
तो चाँद की चाहत किसे होती,
काट सकती अकेले ये ज़िन्दगी,
तो दोस्ती नाम की ये चीज़ ही क्यों होती।
एक आदत आपकी दील चुराने की,
एक तमन्ना आपके दिल मे बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
इच्छा हमारी उस चाँद को पाने की।
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपट रोते थे हम,
तूने तो खबर ना ली छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
चाँद पर कभी अंधेरा होता ही होगा,
चाँद से तारो का रूठना कभी होता ही होगा,
तुम कितना भी छुपालो हमसे,
तुम्हारा दिल हमारे लिए धड़कता ही होगा।
देखा चांद आज जो मेरे छत की तरफ,
शर्मा के डूब गया मगरिब की तरफ,
बुला रखा हूं मैं जो अपने महबूब को,
तारे चमकने लगे हैं आसमां की तरफ।
हर रास्ता एक सफ़र चाहता है,
हर मुसाफिर एक हमसफ़र चाहता है,
जैसे चाहती है चांदनी चाँद को,
कोई है जो तुमको इस कदर चाहता है।
ये दिल न जाने क्या कर बैठा,
मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा,
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता,
और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा।
रात को रात का तोहफा नहीं देते,
दिल को जज़्बात का तोहफा नहीं देते,
देने को तो हम तुम्हें चाँद भी दें,
मगर चाँद को चाँद का तोहफा नहीं देते।
दूर इसी आसमां तले वो बैठा है,
मेरी गुस्ताखी पे ना जाने कब से ऐठा है,
ऐ चाँद तू ही उसे समझा दे जरा,
तेरा पिया यहाँ साँस रोके बैठा है।
एक ये दिन हैं जब चाँद को देखे,
मुद्दत बीती जाती है,
एक वो दिन थे जब चाँद खुद,
हमारी छत पे आया करता था।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यों मेरे साथ सारी रात जागा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
रात के अँधेरे में चाँद की खूबसूरती तो देखो,
ऐसे लगता है मानो कोई परी सूनसान राहो में खड़ी है,
दिल जलता है उसे तन्हाई में भी चमकता देख कर,
यहाँ बिन महबूब के एक रात ना कटी है।