टूटे ख्वाबों की तस्वीर कब पूरी होती है,
चाँद तारों के बीच भी दूरी होती है,
देना तो हमें खुदा सब कुछ चाहता है,
पर उसकी भी कुछ मजबूरी होती है।
एक अदा आपका दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
रात भर तेरी तारीफ़ करता रहा चाँद से,
चाँद इतना जला कि सूरज हो गया,
चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले,
ग़म थे कितने जो तेरे ग़म के बहाने निकले।
आज भीगी हें पलके तुम्हारी याद में,
आकाश भी सिमट गया अपने आप में,
औंस की बूँद ऐसे गिरी ज़मीन पर,
मानो चाँद भी रोया हो तेरी की याद मे।
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता।
ऐ चाँद तु मुझे इतना बता तू मेरा क्या लगता है,
मेरे साथ सारी रात क्यू जगता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है क्या।
उजाले की चादर ने चाँद को सुलाया है,
सूरज को दिन का मेहमान बनाया है,
कोई इंतज़ार कर रहा है मेरे मैसेज का,
ठंडी हवाओं ने अभी-अभी मुझे बताया है।
वो चाँद है मगर आपसे प्यारा नही,
परवाने का शमा के बिन गुजारा नही,
मेरे दिल ने सुनी है मोटी सी आवाज,
कही आपने मुझे पुकारा तो नही।
चाँद पर काली घटा छाती तो होगी,
सितारों को मुस्कराहट आती तो होगी,
तुम लाख छिपाओ दुनिया से मगर,
अकेले में तुम्हे हमारी याद आती तो होगी।
चाँद के लिए सितारे अनेक है,
लेकिन सितारों के लिए चाँद एक है,
आपके लिए तो हज़ारों होंगे,
लेकिन हमारे लिए आप एक है।
बात यह है कि धरती पर चांद होता है,
जब चांद को पता चलता है,
या तो तुमने चाँद खो दिया,
या चाँद बुरी तरह जलता है।
एक आदत आपकी दील चुराने की,
एक तमन्ना आपके दिल मे बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
इच्छा हमारी उस चाँद को पाने की।
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उस पर शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफापर,
तभी चाँद पर तारों का पहरा है।
चाँदनी रात बड़ी देर के बाद आई है,
लब पे इक बात बड़ी देर के बाद आई है,
झूम कर आज ये शब-रंग लटें बिखरा दे,
देख बरसात बड़ी देर के बाद आई है।
तुम सुबह का चाँद बन जाओ,
मैं शाम का सूरज हो जाओ,
मिले हम-तुम यु कभी,
तुम मैं हो जाऊं, मे तुम हो जाओ।
हर सपना ख़ुशी पाने के लिए पूरा नहीं होता,
कोई किसी के बिना अधूरा नहीं होता,
जो चाँद रौशन करता है रात भर को,
हर रात वो भी पूरा नहीं होता।
देखा चांद आज जो मेरे छत की तरफ,
शर्मा के डूब गया मगरिब की तरफ,
बुला रखा हूं मैं जो अपने महबूब को,
तारे चमकने लगे हैं आसमां की तरफ।
दूर इसी आसमां तले वो बैठा है,
मेरी गुस्ताखी पे ना जाने कब से ऐठा है,
ऐ चाँद तू ही उसे समझा दे जरा,
तेरा पिया यहाँ साँस रोके बैठा है।
क्यों हर कोई उस चांद से ही दिल लगाना चाहता है,
शहर का हर एक सितारा उसका होना चाहता है,
खुश हैं हम दूर रहकर उससे क्योंकि,
चांद दूर से ज्यादा खूबसूरत नजर आता है।