क्यों हर कोई उस चांद से ही दिल लगाना चाहता है,
शहर का हर एक सितारा उसका होना चाहता है,
खुश हैं हम दूर रहकर उससे क्योंकि,
चांद दूर से ज्यादा खूबसूरत नजर आता है।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यों मेरे साथ सारी रात जागा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता।
हर सपना ख़ुशी पाने के लिए पूरा नहीं होता,
कोई किसी के बिना अधूरा नहीं होता,
जो चाँद रौशन करता है रात भर को,
हर रात वो भी पूरा नहीं होता।
काश तु चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा भी होता,
लोग तुम्हे सिर्फ दूर से ही निहारते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ सिर्फ हमारा होता।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले जाते हो छोड़कर हमे,
हम रात भर आपसे मिलने को तरसते है।
रात गुमसुम हैं मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखों की गहराई में आज,
हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं।
उजाले की चादर ने चाँद को सुलाया है,
सूरज को दिन का मेहमान बनाया है,
कोई इंतज़ार कर रहा है मेरे मैसेज का,
ठंडी हवाओं ने अभी-अभी मुझे बताया है।
चाँद पर काली घटा छाती तो होगी,
सितारों को मुस्कराहट आती तो होगी,
तुम लाख छिपाओ दुनिया से मगर,
अकेले में तुम्हे हमारी याद आती तो होगी।
ऐ चाँद ना गुरुर कर खूबसूरती की,
ये तो मेरे सनम से कम है,
तुझ में तो बेवफाई का दाग है,
मेरा सनम हर मायने में बेदाग है।
चाँद भी दीदार के काबिल ना रहे,
कोई प्यार के काबिल ना रहे,
इस दिल में बस गई है प्यार के लिए नफरत,
अब तो कोई इंतजार के काबिल ना रहे।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उस पर शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफापर,
तभी चाँद पर तारों का पहरा है।
दूर इसी आसमां तले वो बैठा है,
मेरी गुस्ताखी पे ना जाने कब से ऐठा है,
ऐ चाँद तू ही उसे समझा दे जरा,
तेरा पिया यहाँ साँस रोके बैठा है।
टूटे ख्वाबों की तस्वीर कब पूरी होती है,
चाँद तारों के बीच भी दूरी होती है,
देना तो हमें खुदा सब कुछ चाहता है,
पर उसकी भी कुछ मजबूरी होती है।
चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो मुझे,
ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो मुझे,
क़ैद करलो अपने इश्क़ में या,
इश्क़ करने के इजाज़त दे दो मुझे।
रात के अँधेरे में चाँद की खूबसूरती तो देखो,
ऐसे लगता है मानो कोई परी सूनसान राहो में खड़ी है,
दिल जलता है उसे तन्हाई में भी चमकता देख कर,
यहाँ बिन महबूब के एक रात ना कटी है।
चाँद पर कभी अंधेरा होता ही होगा,
चाँद से तारो का रूठना कभी होता ही होगा,
तुम कितना भी छुपालो हमसे,
तुम्हारा दिल हमारे लिए धड़कता ही होगा।
वो चाँद है मगर आपसे प्यारा नही,
परवाने का शमा के बिन गुजारा नही,
मेरे दिल ने सुनी है मोटी सी आवाज,
कही आपने मुझे पुकारा तो नही।
देखा चांद आज जो मेरे छत की तरफ,
शर्मा के डूब गया मगरिब की तरफ,
बुला रखा हूं मैं जो अपने महबूब को,
तारे चमकने लगे हैं आसमां की तरफ।
ये दिल न जाने क्या कर बैठा,
मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा,
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता,
और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा।