ऐ चाँद तू भूल जायेगा अपने आप को,
जब सुनेगा दास्तान मेरे प्यार की,
क्यूँ करता है तू गुरूर अपने आप पे,
इतना तू तो सिर्फ़ परछाई है मेरे यार की।
चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो मुझे,
ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो मुझे,
क़ैद करलो अपने इश्क़ में या,
इश्क़ करने के इजाज़त दे दो मुझे।
दूर इसी आसमां तले वो बैठा है,
मेरी गुस्ताखी पे ना जाने कब से ऐठा है,
ऐ चाँद तू ही उसे समझा दे जरा,
तेरा पिया यहाँ साँस रोके बैठा है।
चिराग से अंधेरे दूर हो जाते,
तो चाँद की चाहत किसे होती,
काट सकती अकेले ये ज़िन्दगी,
तो दोस्ती नाम की ये चीज़ ही क्यों होती।
वो चाँद है मगर आपसे प्यारा नही,
परवाने का शमा के बिन गुजारा नही,
मेरे दिल ने सुनी है मोटी सी आवाज,
कही आपने मुझे पुकारा तो नही।
ऐ चाँद तु मुझे इतना बता तू मेरा क्या लगता है,
मेरे साथ सारी रात क्यू जगता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है क्या।
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता।
चाँद पर कभी अंधेरा होता ही होगा,
चाँद से तारो का रूठना कभी होता ही होगा,
तुम कितना भी छुपालो हमसे,
तुम्हारा दिल हमारे लिए धड़कता ही होगा।
पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
रात होगी तो चाँद भी दुहाई देगा,
ख्वाबों में तुम्हे वो चेहरा दिखाई देगा,
ये मोहब्बत ज़रा सोचके करना,
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा।