रात होगी तो चाँद भी दुहाई देगा,
ख्वाबों में तुम्हे वो चेहरा दिखाई देगा,
ये मोहब्बत ज़रा सोचके करना,
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा।
पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
वो चाँद है मगर आप से प्यारा नहीं,
शमा के बिन परवाने का गुजारा नहीं,
इस दिल ने सुनी एक प्यारी सी आवाज़,
कही आप ने हमें पुकारा तो नहीं।
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
उजाले की चादर ने चाँद को सुलाया है,
सूरज को दिन का मेहमान बनाया है,
कोई इंतज़ार कर रहा है मेरे मैसेज का,
ठंडी हवाओं ने अभी-अभी मुझे बताया है।
रात को रात का तोहफा नहीं देते,
दिल को जज़्बात का तोहफा नहीं देते,
देने को तो हम तुम्हें चाँद भी दें,
मगर चाँद को चाँद का तोहफा नहीं देते।
चाँद पर कभी अंधेरा होता ही होगा,
चाँद से तारो का रूठना कभी होता ही होगा,
तुम कितना भी छुपालो हमसे,
तुम्हारा दिल हमारे लिए धड़कता ही होगा।
टूटे ख्वाबों की तस्वीर कब पूरी होती है,
चाँद तारों के बीच भी दूरी होती है,
देना तो हमें खुदा सब कुछ चाहता है,
पर उसकी भी कुछ मजबूरी होती है।
एक आदत आपकी दील चुराने की,
एक तमन्ना आपके दिल मे बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
इच्छा हमारी उस चाँद को पाने की।
तुम सुबह का चाँद बन जाओ,
मैं शाम का सूरज हो जाओ,
मिले हम-तुम यु कभी,
तुम मैं हो जाऊं, मे तुम हो जाओ।
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से।
चिराग से अंधेरे दूर हो जाते,
तो चाँद की चाहत किसे होती,
काट सकती अकेले ये ज़िन्दगी,
तो दोस्ती नाम की ये चीज़ ही क्यों होती।
नजर में आपकी नज़ारे रहेंगे,
पलकों पर चाँद सितारे रहेंगे,
बदल जाये तो बदले ये ज़माना,
हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे।
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका,
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका,
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।
वैसे तो कई दोस्त है हमारे,
जैसे आसमान में है कई तारे,
पर आप दोस्ती के आसमान के वो चाँद है,
जिसके सामने फीके पड़ते हैं सारे सितारे।
एक ये दिन हैं जब चाँद को देखे,
मुद्दत बीती जाती है,
एक वो दिन थे जब चाँद खुद,
हमारी छत पे आया करता था।
ऐ चाँद तू भूल जायेगा अपने आप को,
जब सुनेगा दास्तान मेरे प्यार की,
क्यूँ करता है तू गुरूर अपने आप पे,
इतना तू तो सिर्फ़ परछाई है मेरे यार की।
चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे,
अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे।
रात गुमसुम हैं मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखों की गहराई में आज,
हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं।
चाँद पर काली घटा छाती तो होगी,
सितारों को मुस्कराहट आती तो होगी,
तुम लाख छिपाओ दुनिया से मगर,
अकेले में तुम्हे हमारी याद आती तो होगी।
हर सपना ख़ुशी पाने के लिए पूरा नहीं होता,
कोई किसी के बिना अधूरा नहीं होता,
जो चाँद रौशन करता है रात भर को,
हर रात वो भी पूरा नहीं होता।