एक ये दिन हैं जब चाँद को देखे,
मुद्दत बीती जाती है,
एक वो दिन थे जब चाँद खुद,
हमारी छत पे आया करता था।
देखा चांद आज जो मेरे छत की तरफ,
शर्मा के डूब गया मगरिब की तरफ,
बुला रखा हूं मैं जो अपने महबूब को,
तारे चमकने लगे हैं आसमां की तरफ।
ये दिल न जाने क्या कर बैठा,
मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा,
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता,
और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा।
चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे,
अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे।
ऐ चाँद तु मुझे इतना बता तू मेरा क्या लगता है,
मेरे साथ सारी रात क्यू जगता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है क्या।
वैसे तो कई दोस्त है हमारे,
जैसे आसमान में है कई तारे,
पर आप दोस्ती के आसमान के वो चाँद है,
जिसके सामने फीके पड़ते हैं सारे सितारे।
पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
दूर इसी आसमां तले वो बैठा है,
मेरी गुस्ताखी पे ना जाने कब से ऐठा है,
ऐ चाँद तू ही उसे समझा दे जरा,
तेरा पिया यहाँ साँस रोके बैठा है।
बात यह है कि धरती पर चांद होता है,
जब चांद को पता चलता है,
या तो तुमने चाँद खो दिया,
या चाँद बुरी तरह जलता है।
एक अदा आपका दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक,
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले जाते हो छोड़कर हमे,
हम रात भर आपसे मिलने को तरसते है।
रात गुमसुम हैं मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखों की गहराई में आज,
हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यों मेरे साथ सारी रात जागा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका,
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका,
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।
रात को रात का तोहफा नहीं देते,
दिल को जज़्बात का तोहफा नहीं देते,
देने को तो हम तुम्हें चाँद भी दें,
मगर चाँद को चाँद का तोहफा नहीं देते।
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
चाँदनी रात बड़ी देर के बाद आई है,
लब पे इक बात बड़ी देर के बाद आई है,
झूम कर आज ये शब-रंग लटें बिखरा दे,
देख बरसात बड़ी देर के बाद आई है।
वो चाँद है मगर आपसे प्यारा नही,
परवाने का शमा के बिन गुजारा नही,
मेरे दिल ने सुनी है मोटी सी आवाज,
कही आपने मुझे पुकारा तो नही।
वो चाँद है मगर आप से प्यारा नहीं,
शमा के बिन परवाने का गुजारा नहीं,
इस दिल ने सुनी एक प्यारी सी आवाज़,
कही आप ने हमें पुकारा तो नहीं।
आज भीगी हें पलके तुम्हारी याद में,
आकाश भी सिमट गया अपने आप में,
औंस की बूँद ऐसे गिरी ज़मीन पर,
मानो चाँद भी रोया हो तेरी की याद मे।