चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो मुझे,
ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो मुझे,
क़ैद करलो अपने इश्क़ में या,
इश्क़ करने के इजाज़त दे दो मुझे।
रात के अँधेरे में चाँद की खूबसूरती तो देखो,
ऐसे लगता है मानो कोई परी सूनसान राहो में खड़ी है,
दिल जलता है उसे तन्हाई में भी चमकता देख कर,
यहाँ बिन महबूब के एक रात ना कटी है।
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपट रोते थे हम,
तूने तो खबर ना ली छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।
चाँद की तरह ही खिले तेरी मुस्कान,
तारो की तरह सजे तेरे अरमान,
तू उदास ना हो कभी,
तेरी जिंदगी में खुशियाँ हो सभी।
उजाले की चादर ने चाँद को सुलाया है,
सूरज को दिन का मेहमान बनाया है,
कोई इंतज़ार कर रहा है मेरे मैसेज का,
ठंडी हवाओं ने अभी-अभी मुझे बताया है।
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है,
उस पर शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यकीन न था वफापर,
तभी चाँद पर तारों का पहरा है।
चाँद पर कभी अंधेरा होता ही होगा,
चाँद से तारो का रूठना कभी होता ही होगा,
तुम कितना भी छुपालो हमसे,
तुम्हारा दिल हमारे लिए धड़कता ही होगा।
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से।
चाँद तारो की कसम खाता हूँ,
मैं बहारों की कसम खाता हूँ,
कोई आप जैसा नज़र नहीं आया,
मैं नजारों की कसम खाता हूँ।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
अकेला तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
आज भीगी हें पलके तुम्हारी याद में,
आकाश भी सिमट गया अपने आप में,
औंस की बूँद ऐसे गिरी ज़मीन पर,
मानो चाँद भी रोया हो तेरी की याद मे।
ऐ चाँद तु मुझे इतना बता तू मेरा क्या लगता है,
मेरे साथ सारी रात क्यू जगता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है क्या।
चाँद पर काली घटा छाती तो होगी,
सितारों को मुस्कराहट आती तो होगी,
तुम लाख छिपाओ दुनिया से मगर,
अकेले में तुम्हे हमारी याद आती तो होगी।
चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे,
अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे।
रात गुमसुम हैं मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखों की गहराई में आज,
हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं।
रात होगी तो चाँद भी दुहाई देगा,
ख्वाबों में तुम्हे वो चेहरा दिखाई देगा,
ये मोहब्बत ज़रा सोचके करना,
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा।
आज मुद्दतों बाद मुझे मेरे चांद का दीदार तो हुआ,
बेशक एक दूसरे से हम गले लगकर न मिले,
पर दो घड़ी ही सही उसका दीदार तो हुआ।
ऐ चाँद ना गुरुर कर खूबसूरती की,
ये तो मेरे सनम से कम है,
तुझ में तो बेवफाई का दाग है,
मेरा सनम हर मायने में बेदाग है।
काश तु चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा भी होता,
लोग तुम्हे सिर्फ दूर से ही निहारते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ सिर्फ हमारा होता।