क्या फ़र्क़ है दोस्ती और मोहब्बत में?
रहते तो दोनों दिल में ही है लेकिन,
फ़र्क़ बस इतना है, बरसों बाद मिलने पर,
मोहब्बत नजर चुरा लेती है और दोस्त सीने से लगा लेता है।
दोस्तों की दोस्ती में कभी कोई रूल नहीं होता है,
और ये सिखाने के लिए कोई स्कूल नहीं होता है।
महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती,
ना हो इश्क तो जिंदगी खत्म नहीं होती,
साथ अगर हो जिंदगी में दोस्तों का,
तो जिंदगी जन्नत से कम नहीं होती।
गुण मिलने पर शादी होती है,
और अवगुण मिलने पर दोस्ती।
जो तू चाहे वो तेरा हो,
रोशन रातें और खूबसूरत सवेरा हो,
जारी रहें हमारी दोस्ती का सिलसिला,
कामयाब हर मंजिल पर दोस्त मेरा हो।
बेवजह है, तभी तो दोस्ती है,
वजह होती, तो साजिश होती।
फर्क तो अपनी सोच मे है जनाब,
वर्ना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नही होती।
इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है,
इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा ईमान है,
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी सारी ज़िन्दगी,
मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है।
अगर तेरी दोस्ती बिकी
तो पहले खरीददार हम ही होंगे,
तुझे खबर भी ना होगी तेरी कीमत पर,
तुझे पाकर सबसे अमीर भी हम होंगे।
दोस्ती यकीन पर टिकी होती है,
यह दिवार बड़ी मुश्किल से खड़ी होती है,
कभी फुरसत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तो की,
दोस्ती खून के रिश्तो से बड़ी होती है।