मेरे महबूब इतनी बड़ी सजा,
ना देना हमको गलती की,
तुझ से रूबरू ना हो पाऊं,
ऐसी हमने खता नहीं की।
सच्चे प्यार की खूबसूरती,
गलतियों को माफ़ करने से बढ़ती है,
गर प्यार में गलतियों को ढूंढ़ते रहोगे,
तो देखना अकेले ही रह जाओगे।
शीशा और रिश्ता दोनों हि बड़े नाज़ुक होते हैं,
दोनों में सिर्फ एक ही फर्क है,
शीशा गलती से टूट जाता है,
और रिश्ता गलतफहमियों से।
जो लोग न तो अपनी गलतियों से सीखते हैं,
और न दूसरों की गलतियों से सीखते हैं,
वैसे लोग बर्बाद हो जाते हैं।
हम उसकी गलती थे साहब,
उसने गलती सुधार ली,
हमने ज़िंदगी उजाड़ ली।
रिश्ते अब शीशे की तरह हो गये हैं,
छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाते हैं,
एक हीं गलती पर अब ये टूट जाते हैं।