जो लोग अपनी गलती खुद नहीं मानते,
उन्हें वक्त अपनी गलती मनवा लेता है।
गलतियां तेरी चलो माफ है मगर,
धोखा तेरा ना काबिल ए माफ़ी है।
गलती तो हो गयी है, अब क्या मार डालोगे,
माफ़ भी कर दो ऐ सनम, ये गलतफहमी कब तक पालोगे।
अपना कभी उसने हमे बनाया ही नहीं,
झूठा ही सही मगर कभी उसने दिल लगाया ही नहीं,
एक बार को तो हम अपनी गलती भी मान लेते मगर,
गलती क्या थी उसने कभी हमे बताया ही नहीं।
मेरे महबूब इतनी बड़ी सजा,
ना देना हमको गलती की,
तुझ से रूबरू ना हो पाऊं,
ऐसी हमने खता नहीं की।
मां-बाप हीं हमारी सब गलतियों को भूला देते हैं,
जमाने वाले तो जरा सी बात का तमाशा बना देते हैं।
ऐसी क्या गलती कर दी हमने कि तुम खफा हो गए,
उम्र भर साथ निभाने का वादा करने वाले बेवफा हो गए।
कोई व्यक्ति एक बार गलती करें तो – कोई बात नहीं,
दो बार गलती करें तो – होता है, इंसान है,
तीसरी बार गलती करें तो – इनसे दूर ही रहना,
क्योकि ये उसकी गलती नहीं आदत है।
कोई तुम्हें देखकर मुस्कुरा दे तो उसे प्यार मत समझो,
किसी की छोटी-सी गलती पर, उसे गुनहगार मत समझो।
चुप रहते हैं हम कि कोई खफा ना हो जाये,
हमसे कोई रुसवा ना हो जाये,
बड़ी मुश्किल से कोई अपना बना हैं,
अगर मैने कुछ गलती की है तो माफ कर दो,
डर लगता हैं कोही वो भी जुदा ना हो जाये।