गलती किसकी थी, यह तो वक्त हीं बतायेगा,
गलतफहमी का यह सिलसिला तभी थम पाएगा।
गलती इंसान के जीवन का इक हिस्सा है,
इसके बिना अधूरा हर इक किस्सा हैं।
गलती पर साथ छोड़ने वाले तो बहुत मिलते है पर,
गलती पर समझा कर साथ निभाने वाले बहुत कम मिलते हैं।
गलतियों को गुनाह मत बनाया करो,
छोटी-छोटी बातों को बस भूल जाया करो।
सूरज निकलने के बाद, धीरे-धीरे ढलता ही रहेगा,
गलतियों का सिलसिला सारी उम्र चलता ही रहेगा।
चुप रहते हैं हम कि कोई खफा ना हो जाये,
हमसे कोई रुसवा ना हो जाये,
बड़ी मुश्किल से कोई अपना बना हैं,
अगर मैने कुछ गलती की है तो माफ कर दो,
डर लगता हैं कोही वो भी जुदा ना हो जाये।
लोग कहते है गलतियां ना किया कर, पछतायेगा,
जीवन के किसी मोड़ पर तू गुम होकर,
कहीं और ही चला जायेगा।
वो गलतियां बहुत दर्द देती हैं,
जिनकी माफी मांगने का वक्त निकल चुका हो।
शीशा और रिश्ता दोनों हि बड़े नाज़ुक होते हैं,
दोनों में सिर्फ एक ही फर्क है,
शीशा गलती से टूट जाता है,
और रिश्ता गलतफहमियों से।
गलती तो हो गयी है, अब क्या मार डालोगे,
माफ़ भी कर दो ऐ सनम, ये गलतफहमी कब तक पालोगे।