होठों पर हंसी न हो,
तो हाथों में मेहँदी नहीं लगाई जाती है,
इश्क़ किसी और से हो,
तो किसी गैर से शादी नहीं रचाई जाती है।
वक्त के साथ मेहंदी का रंग उतर जाता है,
पर चाहत के रंग अपने दिल से कैसे उतारोगी।
हाथों की मेहंदी गालों पर निखर कर आई हैं,
तेरे लबों की लाली ने यह महफ़िल सजाई हैं।
उजली उजली धूप की रंगत भी फ़ीकी पड़ जाती है,
आसमान के हाथों जब शाम की मेहंदी रच जाती है।
ज़ुल्फ बिखेरे उसकी मोहब्बत मुझे नुमाइश सी लगती है,
उसके हाथों पे लगी मेहंदी मुझे पराई सी लगती है।
गेसुओं की नाज़ुक डोर में फंसा ले,
मुझे दिल के कहीं एक कोने में छुपा ले,
मुझे हाथों में तेरे बसा दूंगा मेहंदी की खुशबू,
बस शर्त है मुझे अपनी सांसों में समा ले।
तू हमेशा रहे मेरे साथ में,
जल्दी मेहंदी रचे मेरे हाथ में।
जमाने के आगे दिल का हाल छुपाये बैठे है,
नादान है वो जो मेहंदी में मेरा नाम छुपाये बैठे है।
कुछ और ज़ज़्बातों को बेताब किया उसने,
आज मेहंदी वाले हाथों से आदाब किया उसने।
दोस्ती और मेहंदी में फर्क नही होता,
दोनो एक काम कर जाती है,
जिंदगी मैं खुशियों के रंग देती है,
और खुद फना हो जाती है।