मुझे भी फ़ना होना था,
तेरे हाथों की मेहँदी की तरह,
ये गम नहीं मिट जाने का,
तू रंग देख निखरा हूँ किस तरह।
मुझे भी फ़ना होना था,
तेरे हाथों की मेहँदी की तरह,
ये गम नहीं मिट जाने का,
तू रंग देख निखरा हूँ किस तरह।
क्या हुआ जो उसने रचा ली मेहंदी,
हम भी अब सेहरा सजाएंगे,
पता है वो मेरे नसीब में नहीं है,
अब उसकी छोटी बहन को पटाएंगे।
दिल में इक मासूम अरमान सजा रखा है,
पायल झंकार सब सामान सजा रखा है,
आओ कभी हमसे खुशबू चाहत की लेने,
भरकर मेहँदी से ये गुलदान सजा रखा है।
मेहेंदी का है ये कहना,
अपने पिया के संग रहना,
मेहंदी के रंग का है ये कहना,
रंग छूटे पर पिया का संग ना छूटे।
होठों पर हंसी न हो,
तो हाथों में मेहँदी नहीं लगाई जाती है,
इश्क़ किसी और से हो,
तो किसी गैर से शादी नहीं रचाई जाती है।