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Home Mehndi Shayari Mehndi Shayari in Hindi - मेहंदी शायरी इन हिंदी

मेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों में जाने कब वो मेरी लकीर बन गई

मेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों में जाने कब वो मेरी लकीर बन गईमेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों में,
जाने कब वो मेरी लकीर बन गई।

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अगर मुहब्बत उनकी कमान की न होतीअगर मुहब्बत उनकी कमान की न होती,
तो मेरे हाथों की मेहँदी भी यूँ लाल न होती।

मैं तेरे हाथों पर रच जाऊँगा मेहँदी की तरहमैं तेरे हाथों पर रच जाऊँगा मेहँदी की तरह,
तू मेरा नाम कभी हाथों पर सजा कर तो देख।

उसे शक है हमारी मुहब्बत पर लेकिनउसे शक है हमारी मुहब्बत पर लेकिन,
गौर नहीं करती मेहँदी का रंग कितना गहरा निखरा हैं।

तू हमेशा रहे मेरे साथ में जल्दी मेहंदी रचे मेरे हाथ मेंतू हमेशा रहे मेरे साथ में,
जल्दी मेहंदी रचे मेरे हाथ में।

दोस्ती और मेहंदी में फर्क नही होतादोस्ती और मेहंदी में फर्क नही होता,
दोनो एक काम कर जाती है,
जिंदगी मैं खुशियों के रंग देती है,
और खुद फना हो जाती है।

मैं न लगाऊँगी मेहंदी तेरे नाम कीमैं न लगाऊँगी मेहंदी तेरे नाम की,
कम्बख्त रंग चढ़ कर उतरता ही नही।

चुरा के दिल मेरा मुठ्ठी में छिपाए बैठे हैचुरा के दिल मेरा मुठ्ठी में छिपाए बैठे है,
और बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे है।

किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई हैकिस्मत की लकीरें भी आज इठलाई है,
तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों अपर रचाई है।

तुम्हारी थी शरारत मेहंदी से हथेली पे नाम लिखनातुम्हारी थी शरारत मेहंदी से हथेली पे नाम लिखना,
और मुझे रुसवा कर दिया तुम ने यूंही खेलते खेलते।

अपने हाथों की लकीरों मे मुझको बसालेअपने हाथों की लकीरों मे मुझको बसाले,
ये मुमकिन नहीं तो मेहंदी मे मुझको रचाले।

रातभर बेचारी मेहंदी पिसती हैं पैरों तलेरातभर बेचारी मेहंदी पिसती हैं पैरों तले,
क्या करू, कैसे कहूँ रात कब कैसे ढले।

लड़की के हाथों पर जब मेहँदी रचाई जाती हैलड़की के हाथों पर जब मेहँदी रचाई जाती है,
तो बहुत सारे रिश्तों की अहमियत बताई जाती है।

दिल में इक मासूम अरमान सजा रखा हैदिल में इक मासूम अरमान सजा रखा है,
पायल झंकार सब सामान सजा रखा है,
आओ कभी हमसे खुशबू चाहत की लेने,
भरकर मेहँदी से ये गुलदान सजा रखा है।

वो आए है महफिल में मेरे सामने बैठे हैंवो आए है महफिल में मेरे, सामने बैठे हैं,
अपने हाथों में मेरा दिल, दबाए बैठे हैं,
हमने उनसे पूछा क्या है तुम्हारे हाथो में,
मुस्कुरा के बोले, मेहंदी लगाए बैठे हैं।

वक्त के साथ मेहंदी का रंग उतर जाता हैवक्त के साथ मेहंदी का रंग उतर जाता है,
पर चाहत के रंग अपने दिल से कैसे उतारोगी।

उजली उजली धूप की रंगत भी फ़ीकी पड़ जाती हैउजली उजली धूप की रंगत भी फ़ीकी पड़ जाती है,
आसमान के हाथों जब शाम की मेहंदी रच जाती है।

हाथों की मेहंदी गालों पर निखर कर आई हैहाथों की मेहंदी गालों पर निखर कर आई है,
तेरे लबों की लाली ने यह महफ़िल सजाई हैं।

तेरे हाथों के मेहंदी का रंग गहरा लाल हैतेरे हाथों के मेहंदी का रंग गहरा लाल है,
क्योंकि मेरे इश्क़ का चाहत बेमिसाल है।

किसी और के रंग में रंगने लगे है वोकिसी और के रंग में रंगने लगे है वो,
मेरी दुनिया बेरंग कर,
किसी गैर की याद में हँसने लगे है वो।

मेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों में जाने कब वो मेरी लकीर बन गईमेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों में,
जाने कब वो मेरी लकीर बन गई।


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