जिंदगी बहुत खूबसूरत है, जिंदगी से प्यार करो,
अगर हो रात तो, सुबह का इंतजार करो,
वो पल भी आएगा जिसका तुझे इंतेज़ार है,
बस उस खुदा पर भरोसा और वक्त पर ऐतवार करो।
जिंदगी में जीत और हार है किसके लिए,
एक दूसरे में इतनी तकरार है किसके लिए,
जो आया है इस दुनिया मे एक दिन वो जाएगा,
ए इंसा तो तुझे इतना गुमान है किसके लिए।
बड़े ही अजीब है ये ज़िन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते है,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते है।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
ज़िन्दगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
मन का कुछ भी नहीं सांस के योग है,
गम हो या हो खुशी दोनों ही रोग है,
आप रोती हुई उम्र के साथ हम,
जिंदगी से निभाते हुए लोग है।
जीत भी मेरी और हार भी मेरी,
तलवार भी मेरी और धार भी मेरी,
ज़िन्दगी ये मेरी कुछ यूं सवार है मुझ पर,
डूबी भी मेरी और पार भी मेरी।
परेशान हूँ मैं और दर्द का है नाम जिंदगी,
अच्छा या बुरा मैं हूँ पर बदनाम जिंदगी,
स्याह रातें, मायूसी, आंसू, लाचारी, तन्हाई,
मोहब्बत दे या कर मौत का इंतज़ाम जिंदगी।
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
ज़ुल्फ़-ओ-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है।
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है।
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो ज़िन्दगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।
शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते है लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
जिंदगी उसी को आजमाती है,
जो हर मोड़ पर चलना जानता है,
कुछ पा कर तो हर कोई मुस्कुराता है,
जिंदगी उसी की है,
जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता है।
इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है,
कोई गमो की पनाह में रोता है,
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है,
कोई भरोसे के लिए रोता है,
कोई भरोसा करके रोता है।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता।
ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है,
कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है,
लेकिन जो ज़िन्दगी की भीड़ में खुश रहता है,
ज़िन्दगी उसी के आगे सिर झुकाती है।
ज़िन्दगी में जब आप सही होतें है,
तो इसे कोई याद नही रखता,
और जिंदगी में जब आप गलत हो जाते है,
तो इसे कोई नही भूलता।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
खुशी में भी आँखें आँसू बहाती रही,
जरा सी बात देर तक रुलाती रही,
कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया,
ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही।
जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम,
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम,
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा,
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
रास्ते ज़िन्दगी के बहुत ही हसीन है,
सभी को किसी न किसी की तालाश है,
किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं,
और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।