क्यों वक़्त के साथ रंगत खो जाती है,
हँसती खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है,
एक सवेरा था जब हँसकर उठा करते थे हम,
आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।
ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है,
वो तो शायद मयस्सर न होगी कभी,
ये जो लिक्खी हुई इन लकीरों में है,
अब इसी ज़िन्दगानी के हो जाएँ क्या।
जब दिल किसी बोझ से थक जाता है,
एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है,
मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन,
ज़ंजीर सी पाँव में खनक जाती है।
यह जिंदगी बस सिर्फ पल दो पल है,
जिसमें न तो आज और न ही कल है,
जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह,
जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है।
शिकायतें कम किया कीजिए जनाब,
आप जो जिंदगी जी रहे हो,
वो जिंदगी भी किसी के लिए सपना है।
इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है,
कोई गमो की पनाह में रोता है,
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है,
कोई भरोसे के लिए रोता है,
कोई भरोसा करके रोता है।
मायने जिंदगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
जिंदगी में जीत और हार है किसके लिए,
एक दूसरे में इतनी तकरार है किसके लिए,
जो आया है इस दुनिया मे एक दिन वो जाएगा,
ए इंसा तो तुझे इतना गुमान है किसके लिए।
जीत भी मेरी और हार भी मेरी,
तलवार भी मेरी और धार भी मेरी,
ज़िन्दगी ये मेरी कुछ यूं सवार है मुझ पर,
डूबी भी मेरी और पार भी मेरी।
ज़िन्दगी में जब आप सही होतें है,
तो इसे कोई याद नही रखता,
और जिंदगी में जब आप गलत हो जाते है,
तो इसे कोई नही भूलता।
परेशान हूँ मैं और दर्द का है नाम जिंदगी,
अच्छा या बुरा मैं हूँ पर बदनाम जिंदगी,
स्याह रातें, मायूसी, आंसू, लाचारी, तन्हाई,
मोहब्बत दे या कर मौत का इंतज़ाम जिंदगी।
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है।
जिंदगी उसी को आजमाती है,
जो हर मोड़ पर चलना जानता है,
कुछ पा कर तो हर कोई मुस्कुराता है,
जिंदगी उसी की है,
जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता है।
ऐ मौत कितनी वफ़ा है तुझमें,
मैं आज आज़माना चाहता हूँ,
जि़न्दगी ने बहुत रूलाया है मुझे,
तेरा साथ मिले तो मैं जिंदगी को रूलाना चाहता हूँ।
खुशी में भी आँख आँसू बहाती रही,
जरा सी बात हमें देर तलक रुलाती रही,
कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया,
ज़िन्दगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता।
जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम,
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम,
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा,
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
अपनी तो ज़िन्दगी की अजीब कहानी है,
जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है,
हँसते है दुनिया को हँसाने के लिए वरना,
दुनिया डूब जाये इन आँखों में इतना पानी है।
प्यार में किसी को खोना भी ज़िन्दगी है,
ज़िन्दगी में गमो का होना भी ज़िन्दगी है,
यूँ तो रहती है होठों पर मुस्कराहट,
पर चुपके से किसी के लिए रोना भी ज़िन्दगी है।
हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।