कल न हम होंगे न कोई गिला होगा,
सिर्फ सिमटी हुयी यादों का सिलसिला होगा,
जो लम्हे है चलो हँसकर बिता दें,
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
जुगनुओं की रोशनी से तीरगी हटती नहीं,
आइने की सादगी से झूठ की पटती नहीं,
ज़िंदगी में गम नहीं फिर इसमें क्या मजा,
सिर्फ खुशियों के सहारे ज़िंदगी कटती नहीं।
प्यार में किसी को खोना भी ज़िन्दगी है,
ज़िन्दगी में गमो का होना भी ज़िन्दगी है,
यूँ तो रहती है होठों पर मुस्कराहट,
पर चुपके से किसी के लिए रोना भी ज़िन्दगी है।
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
ज़ुल्फ़-ओ-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है।
परेशान हूँ मैं और दर्द का है नाम जिंदगी,
अच्छा या बुरा मैं हूँ पर बदनाम जिंदगी,
स्याह रातें, मायूसी, आंसू, लाचारी, तन्हाई,
मोहब्बत दे या कर मौत का इंतज़ाम जिंदगी।
क्यों वक़्त के साथ रंगत खो जाती है,
हँसती खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है,
एक सवेरा था जब हँसकर उठा करते थे हम,
आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।
छोड़कर साथ जुदा एक रोज हो जानी है,
शिकवा क्या मैं करूं तेरे बिछड़ जाने का,
जब एक रोज अपनी ही जिंदगी,
बेवफा हो जानी है।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है।
यह जिंदगी बस सिर्फ पल दो पल है,
जिसमें न तो आज और न ही कल है,
जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह,
जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है।
जीत भी मेरी और हार भी मेरी,
तलवार भी मेरी और धार भी मेरी,
ज़िन्दगी ये मेरी कुछ यूं सवार है मुझ पर,
डूबी भी मेरी और पार भी मेरी।
शतरंज की तरह खेल रही है
मेरी ज़िन्दगी मुझसे,
कभी तेरी मोहब्बत मात देती है
कभी मेरी किस्मत।
हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।
अपनी तो ज़िन्दगी की अजीब कहानी है,
जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है,
हँसते है दुनिया को हँसाने के लिए वरना,
दुनिया डूब जाये इन आँखों में इतना पानी है।
ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है,
वो तो शायद मयस्सर न होगी कभी,
ये जो लिक्खी हुई इन लकीरों में है,
अब इसी ज़िन्दगानी के हो जाएँ क्या।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
ज़िन्दगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
जिंदगी बहुत खूबसूरत है, जिंदगी से प्यार करो,
अगर हो रात तो, सुबह का इंतजार करो,
वो पल भी आएगा जिसका तुझे इंतेज़ार है,
बस उस खुदा पर भरोसा और वक्त पर ऐतवार करो।
बड़े ही अजीब है ये ज़िन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते है,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते है।
ज़िन्दगी से अपना हर दर्द छुपा लेना,
ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना,
कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है,
तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना।
मन का कुछ भी नहीं सांस के योग है,
गम हो या हो खुशी दोनों ही रोग है,
आप रोती हुई उम्र के साथ हम,
जिंदगी से निभाते हुए लोग है।