जिंदगी उसी को आजमाती है,
जो हर मोड़ पर चलना जानता है,
कुछ पा कर तो हर कोई मुस्कुराता है,
जिंदगी उसी की है,
जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता है।
अपनी तो ज़िन्दगी की अजीब कहानी है,
जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है,
हँसते है दुनिया को हँसाने के लिए वरना,
दुनिया डूब जाये इन आँखों में इतना पानी है।
छोड़कर साथ जुदा एक रोज हो जानी है,
शिकवा क्या मैं करूं तेरे बिछड़ जाने का,
जब एक रोज अपनी ही जिंदगी,
बेवफा हो जानी है।
हँसकर जीना ही दस्तूर है ज़िंदगी का,
एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का।
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है।
हँसकर जीना दस्तूर है ज़िंदगी का,
एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का।
ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है,
वो तो शायद मयस्सर न होगी कभी,
ये जो लिक्खी हुई इन लकीरों में है,
अब इसी ज़िन्दगानी के हो जाएँ क्या।
शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते है लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
यह जिंदगी बस सिर्फ पल दो पल है,
जिसमें न तो आज और न ही कल है,
जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह,
जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
ज़िन्दगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
ए ज़िन्दगी तू मुझे उड़ना सिखा दे,
मुझे हालातों से लड़ना सिखा दे,
हर हाल में खुश रहना सिखा दे,
और हर हार से तू मुझे जीतना सिखा दे।
प्यार में किसी को खोना भी ज़िन्दगी है,
ज़िन्दगी में गमो का होना भी ज़िन्दगी है,
यूँ तो रहती है होठों पर मुस्कराहट,
पर चुपके से किसी के लिए रोना भी ज़िन्दगी है।
जीत भी मेरी और हार भी मेरी,
तलवार भी मेरी और धार भी मेरी,
ज़िन्दगी ये मेरी कुछ यूं सवार है मुझ पर,
डूबी भी मेरी और पार भी मेरी।
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
ज़ुल्फ़-ओ-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है।
इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है,
कोई गमो की पनाह में रोता है,
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है,
कोई भरोसे के लिए रोता है,
कोई भरोसा करके रोता है।
रास्ते ज़िन्दगी के बहुत ही हसीन है,
सभी को किसी न किसी की तालाश है,
किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं,
और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता।
ज़िन्दगी में जब आप सही होतें है,
तो इसे कोई याद नही रखता,
और जिंदगी में जब आप गलत हो जाते है,
तो इसे कोई नही भूलता।
शतरंज की तरह खेल रही है
मेरी ज़िन्दगी मुझसे,
कभी तेरी मोहब्बत मात देती है
कभी मेरी किस्मत।
क्यों वक़्त के साथ रंगत खो जाती है,
हँसती खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है,
एक सवेरा था जब हँसकर उठा करते थे हम,
आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।