मैं तेरे हाथों पर रच जाऊँगा मेहँदी की तरह,
तू मेरा नाम कभी हाथों पर सजा कर तो देख।
मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो,
मुट्ठी में उनकी दे दे कोई दिल निकाल के।
मैं न लगाऊँगी मेहंदी तेरे नाम की,
कम्बख्त रंग चढ़ कर उतरता ही नही।
वो जो सर झुकाए बैठे हैं,
हमारा दिल चुराए बैठे हैं,
हमने कहा हमारा दिल लौटा दो,
वो बोली- हम तो हाथो में मेहँदी लगाये बैठे हैं।
वो आए है महफिल में मेरे, सामने बैठे हैं,
अपने हाथों में मेरा दिल, दबाए बैठे हैं,
हमने उनसे पूछा क्या है तुम्हारे हाथो में,
मुस्कुरा के बोले, मेहंदी लगाए बैठे हैं।
पीपल के पत्तों जैसा मत बनो,
जो वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है,
बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो,
जो पिसकर भी दूसरों की जिंदगी में रँग भर देते है।
तूने जो मेहँदी वाले हाथों में मेरे नाम लिखा है,
तुम कहो या न कहो, तुम्हारे दिल का प्यार मुझे दिखा है।
गेसुओं की नाज़ुक डोर में फंसा ले,
मुझे दिल के कहीं एक कोने में छुपा ले,
मुझे हाथों में तेरे बसा दूंगा मेहंदी की खुशबू,
बस शर्त है मुझे अपनी सांसों में समा ले।
जमाने के आगे दिल का हाल छुपाये बैठे है,
नादान है वो जो मेहंदी में मेरा नाम छुपाये बैठे है।
इन हाथों में लिख के मेहँदी से सजना का नाम,
जिसको मैं पढ़ती हूँ सुबह शाम।