हाथों की मेहंदी गालों पर निखर कर आई है,
तेरे लबों की लाली ने यह महफ़िल सजाई हैं।
मेहँदी का रंग चढ़ा ऐसे मेरे हाथों में,
जैसे तेरी इश्क़ चढ़ा था मेरी सांसों में।
मेहेंदी का है ये कहना,
अपने पिया के संग रहना,
मेहंदी के रंग का है ये कहना,
रंग छूटे पर पिया का संग ना छूटे।
उसके चेहरे पर मोहब्बत की चमक आज भी है,
उसको हालांकि मेरे प्यार पे शक आज भी है,
नाव में बैठ के धोए थे कभी हाथ उसने,
सारे तालाब में मेहन्दी की महक आज भी है।
तेरी पायल की छमछम मधुर गीत गाती है,
तेरी मुस्कान लूट कर मेरा दिल ले जाती है,
रखा जब पाँव शीशे पर, हुआ मदहोश आईना,
ये तेरे पैरों की मेहंदी मेरे मन को भाती है।
हाथों की मेहंदी गालों पर निखर कर आई हैं,
तेरे लबों की लाली ने यह महफ़िल सजाई हैं।
तूने जो मेहँदी वाले हाथों में मेरे नाम लिखा है,
तुम कहो या न कहो, तुम्हारे दिल का प्यार मुझे दिखा है।
खुदा ही जाने क्यूँ तुम हाथो पे मेहँदी लगाती हो,
बड़ी नासमझ हो फूलों पर पत्तों के रंग चढ़ाती हो।
जमाने के आगे दिल का हाल छुपाये बैठे है,
नादान है वो जो मेहंदी में मेरा नाम छुपाये बैठे है।
ज़ुल्फ बिखेरे उसकी मोहब्बत मुझे नुमाइश सी लगती है,
उसके हाथों पे लगी मेहंदी मुझे पराई सी लगती है।