हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त का,
मैं कोई हिसाब नहीं रखती,
मैं बस लम्हे जीती हूँ,
इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।
कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांकेबिहारी।
हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है,
तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है,
इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा,
हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है।
पाने को ही प्रेम कहे, जग की ये है रीत,
प्रेम का सही अर्थ समझायेगी राधा-कृष्णा की प्रीत।
कजरारी अँखिया राधा तेरी दिल को घायल कर जाती है,
कान की बाली केश का गजरा और पागल पायल कर जाती है,
बंसी होंठों पर चिपकाये मैं बस तुझको ही ढूँढा करता हूँ,
तेरी चंचल मीठी बोली राधा मुझको कायल कर जाती है।
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी,
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी।
कितना भी धन-दौलत पा लो,
पर भूख नहीं मिटटी तृष्णा की,
उसको जीवन का सारा धन मिल जाता है,
जो भक्ति करें राधा के कृष्णा की।
श्याम की बंसी जब भी बजी है,
राधा के मन में प्रीत जगी है।
राधा ने श्री कृष्णा से पूछा,
प्यार का असली मतलब क्या होता है,
श्री कृष्णा ने हँस कर कहा,
जहाँ मतलब होता है वहां प्यार ही कहाँ होता है।
राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था,
दुनियाँ को प्यार का सही मतलब जो समझाना था।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आएंगे,
एक बार आ गए तो कभी नहीं जायेंगे।
अब तो आँखों से भी जलन होती है मुझे ए कान्हा,
खुली हो तो तलाश तेरी और बंद हो तो ख्वाब तेरे।
राधा मुरली-तान सुनावें,
छीनि लियो मुरली कान्हा से कान्हा मंद-मंद मुस्कावे।
राधा ने धुन प्रेम की छेड़ी,
कृष्ण को तान पे,नाच नचावे।
राधा-कृष्णा ही प्रेम की सबसे अच्छी परिभाषा है,
बिना कहे जो समझ में आ जाए, प्रेम ऐसी भाषा है।
हो काल-गति से परे चिरंतन अभी वहाँ थे, अभी यहाँ हो,
कभी धरा पर, कभी गगन में, कभी कहाँ थे, कभी कहाँ हो,
तुम्हारी राधा को भान हैं तुम सकल चराचर में हो समायें,
बस एक मेरा हैं भाग्य मोहन कि जिसमें हो कर भी तुम नही हो।
हर पल आंखों में पानी हैं क्योंकि चाहत में रुहानी है,
मैं हूँ तुझसे, तू हैं मुझसे, राधा-कृष्ण की यही तो प्रेम कहानी है।
सुनो कन्हैया जहाँ से तेरा मन करे,
मेरी जिन्दगी को पड़ लो पन्ना,
चाहे कोई भी खोलो हर पन्ने पर,
तेरा नाम होगा मेरे कान्हा।
कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे,
जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं।
आज वो पावन प्रेम कहाँ,
कहां उनसी प्रेम कहानी है,
कहां वो नटखट कृष्णा है,
कहाँ वो राधा दिवानी है ।
कितनी खूबसूरत है राधा के ख्यालों की दुनिया,
माखन चोर से शुरू होती है और कृष्ण पर खत्म।
सुध-बुध खो रही राधा रानी,
इंतजार अब सहा न जाएँ,
कोई कह दो सावरे से,
वो जल्दी राधा के पास आएँ।
कृष्ण ने राधा से पूछा ऐसी एक जगह बताओ, जहाँ में नहीं हूँ,
राधा ने मुस्कुरा के कहा, बस मेरे नसीब में।
राधा ने किसी और की तरफ देखा हीं नहीं,
जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गई,
कान्हा के प्यार में पड़कर,
वो खुद प्यार की परिभाषा हो गई।
अगर तुमने राधा के कृष्ण के प्रति समर्पण को जान लिया,
तो तुमने प्यार को सच्चे अर्थों में जान लिया।
हर शाम हर किसी के लिए सुहानी नहीं होती,
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नहीं होती,
कुछ असर तो होता है दो आत्मा के मेल का
वरना गोरी राधा, सांवले कृष्णा की दीवानी न होती।
प्यार मे कितनी बाधा देखी,
फिर भी कृष्ण के साथ राधा देखी।
कृष्ण की प्रेम बांसुरियां सुन कर हुई वो प्रेम दीवानी,
जब जब कान्हा मुरली बजाएं, दौड़ी दौड़ी आए राधा रानी।
राधा कहती है दुनियावालों से,
तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है,
प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया,
और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया।
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।
राधा की चाहत है कृष्ण,
उसके दिल की विरासत है कृष्ण,
चाहे कितना भी रास रचा ले कृष्ण
दुनिया तो फिर भी यही कहती है, राधे कृष्ण राधे कृष्ण।