संगीत है श्रीकृष्ण, सुर है श्रीराधे,
शहद है श्रीकृष्ण, मिठास है श्रीराधे,
पूर्ण है श्रीकृष्ण, परिपूर्ण है श्रीराधे,
आदि है श्रीकृष्ण, अनंत है श्रीराधे।
बांके बिहारी का नाम लो सहारा मिलेगा,
ये जीवन न तुमको दुबारा मिलेगा,
डूब रही अगर कश्ती मझधार में,
कृष्णा के नाम से सहारा मिलेगा।
श्याम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है,
दुनिया वाले क्या जाने ये रिश्ता पुराना है।
नन्हा सा फूल हूँ मैं, चरणों की धुल हूँ मैं,
आया हूँ तेरे द्वार, कान्हा मेरी पूजा करो स्वीकार।
गाय का माखन, यशोधा का दुलार,
ब्रह्माण्ड के सितारे कन्हैया का श्रृंगार,
सावन की बारिश और भादों की बहार,
नन्द के लाला को हमारा बार-बार नमस्कार।
गोकुल मैं है जिनका वास, गोपियो संग करे निवास,
देवकी यशोदा है जिनकी मैया, ऐसे है हमारे कृष्ण कन्हैया।
तेरे सीने से लग कर तेरी धङकन बन जाऊँ,
तेरी साँसो मेँ घुल कर खुशबू बन जाऊँ,
हो ना फासला कोई हम दोनो के दर्मियां,
मैँ… मैँ ना रहुँ कान्हा.. बस तुँ ही तुँ बन जाऊँ।
कृष्णा कन्हैया बंसी बजैया पार लगा दो हमारी नैया,
दुविधा में हैं हमारा जीवन कर दो निर्मल पावन ये मन,
तेरे ही चरणों में हमने किया है अब तो खुद का समर्पण,
तू ही तो है अब तो बस इस डूबती नैया का खेवैया।
मिलता है सच्चा सुख केवल हे कृष्ण तुम्हारे चरणो में,
यह विनती है पल पल रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,
जिव्हा पर तेरा नाम रहेतेरी याद सुबह और शाम रहे,
और मन ना डगमग मेरा रहेबस ध्यान हो तुम्हारे चरणों में।
दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नहीं,
कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी आँखों का कन्हैया,
हम अकेले तो गुनाहगार नहीं।
हे अर्जुन के सारथी मुझको भी ऐसा ज्ञान दो,
तेरे प्रेम की ज्योति को जलाये रखू, ऐसा वरदान दो।
मुझको मालूम नहीं अगला जन्म है की नहीं,
ये जन्म प्यार में गुजरेये दुआ मांगी है,
और कुछ मुझे जमानेसे मिले या ना मिले,
ए मेरे कान्हा तेरी मोहब्बत ही सदा मांगी है।
अजीब नशा है, अजीब खुमारी है,
हमे कोई रोग नहीं बस,
जय श्री राधे कृष्णा, राधे कृष्णा बोलने बीमारी है।
कन्हैया दिल में है याद तेरी, होठों पे नाम तेरा,
मेरे दिल में बसने वाले, तेरे चरणों में प्रणाम मेरा।
कर भरोसा राधे नाम का, धोखा कभी न खायेगा,
हर मौके पर कृष्ण, तेरे घर सबसे पहले आयेगा।
किसी भी शहर का वासी बनू,
हर जन्म में राधे कृष्ण का दास ही बनूं।
दे के दर्शन कर दो पूरी प्रभु मेरे मन की तृष्णा,
कब तक तेरी राह निहारूं, अब तो आओ कृष्णा।
पता नहीं कैसे परखता है,
मेरा कृष्ण मुझे,
इम्तेहान भी मुश्किल ही लेता है,
और फेल भी होने नहीं देता।
बहुत खूबसूरत है मेरे ख्यालों की दुनिया,
बस कृष्ण से शुरू और कृष्ण पर ही खत्म।
ए जन्नत अपनी औकात में रहना,
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही,
हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में रहते है,
वहां तेरी भी कोई औकात नही।