किसी भी शहर का वासी बनू,
हर जन्म में राधे कृष्ण का दास ही बनूं।
उन्होंने नस देखि हमारी और बीमार लिख दिया,
रोग हमने पूछा तो वृंदावन से प्यार लिख दिया,
कर्जदार रहेगे उम्र भर हम उस वैद के जिसने दवा में,
श्री राधे कृष्ण नाम लिख दिया।
गोकुल मैं है जिनका वास, गोपियो संग करे निवास,
देवकी यशोदा है जिनकी मैया, ऐसे है हमारे कृष्ण कन्हैया।
कन्हैया दिल में है याद तेरी, होठों पे नाम तेरा,
मेरे दिल में बसने वाले, तेरे चरणों में प्रणाम मेरा।
दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नहीं,
कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी आँखों का कन्हैया,
हम अकेले तो गुनाहगार नहीं।
हे अर्जुन के सारथी मुझको भी ऐसा ज्ञान दो,
तेरे प्रेम की ज्योति को जलाये रखू, ऐसा वरदान दो।
जब सुकून ना मिले दिखावे की बस्ती में,
तब खो जाना मेरे श्याम की मस्ती में।
मुझको मालूम नहीं अगला जन्म है की नहीं,
ये जन्म प्यार में गुजरेये दुआ मांगी है,
और कुछ मुझे जमानेसे मिले या ना मिले,
ए मेरे कान्हा तेरी मोहब्बत ही सदा मांगी है।
काश मैं कोई ऐसा जुर्म करू की सजा मिले हर्जाने में,
मेरा जीवन बीते वृंदावन में और मौत मिले बरसाने में।
कृष्ण भक्ति की छाव में दुखो को भुलाओ,
सब प्रेम भक्ति से हरि गुण गाओ।
मिलता है सच्चा सुख केवल हे कृष्ण तुम्हारे चरणो में,
यह विनती है पल पल रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,
जिव्हा पर तेरा नाम रहेतेरी याद सुबह और शाम रहे,
और मन ना डगमग मेरा रहेबस ध्यान हो तुम्हारे चरणों में।
देखू मेरे माधव की आँखे, या करूँ आँखे चार,
दर पर उसके शीश नमाऊं या निहारु वारंवार।
कृष्णा कन्हैया बंसी बजैया पार लगा दो हमारी नैया,
दुविधा में हैं हमारा जीवन कर दो निर्मल पावन ये मन,
तेरे ही चरणों में हमने किया है अब तो खुद का समर्पण,
तू ही तो है अब तो बस इस डूबती नैया का खेवैया।
कर भरोसा राधे नाम का, धोखा कभी न खायेगा,
हर मौके पर कृष्ण, तेरे घर सबसे पहले आयेगा।
वैकुंठ में भी ना मिले जो वो सुख,
कान्हा तेरे वृंदावन धाम में है,
कितनी भी बड़ी विपदा हो चाहे,
समाधान तो बस श्री राधे तेरे नाम में है।
गाय का माखन, यशोधा का दुलार,
ब्रह्माण्ड के सितारे कन्हैया का श्रृंगार,
सावन की बारिश और भादों की बहार,
नन्द के लाला को हमारा बार-बार नमस्कार।
संगीत है श्रीकृष्ण, सुर है श्रीराधे,
शहद है श्रीकृष्ण, मिठास है श्रीराधे,
पूर्ण है श्रीकृष्ण, परिपूर्ण है श्रीराधे,
आदि है श्रीकृष्ण, अनंत है श्रीराधे।
नन्दलाल की मोहनी सूरत दिल में बसा रखे है,
अपने जीवन को उन्ही की भक्ति लगा रखे है,
एक बार बाँसुरी की मधुर तान सुना दे कान्हा,
एक छोटी से आस लगा रखे है।
अभी तो बस इश्क़ हुआ है, कान्हा से,
मंजिल तो वृंदावन में ही मिलेगी।
ए जन्नत अपनी औकात में रहना,
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही,
हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में रहते है,
वहां तेरी भी कोई औकात नही।