कन्हैया दिल में है याद तेरी, होठों पे नाम तेरा,
मेरे दिल में बसने वाले, तेरे चरणों में प्रणाम मेरा।
तेरे सीने से लग कर तेरी धङकन बन जाऊँ,
तेरी साँसो मेँ घुल कर खुशबू बन जाऊँ,
हो ना फासला कोई हम दोनो के दर्मियां,
मैँ… मैँ ना रहुँ कान्हा.. बस तुँ ही तुँ बन जाऊँ।
अजीब नशा है, अजीब खुमारी है,
हमे कोई रोग नहीं बस,
जय श्री राधे कृष्णा, राधे कृष्णा बोलने बीमारी है।
श्याम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है,
दुनिया वाले क्या जाने ये रिश्ता पुराना है।
नन्हा सा फूल हूँ मैं, चरणों की धुल हूँ मैं,
आया हूँ तेरे द्वार, कान्हा मेरी पूजा करो स्वीकार।
पता नहीं कैसे परखता है,
मेरा कृष्ण मुझे,
इम्तेहान भी मुश्किल ही लेता है,
और फेल भी होने नहीं देता।
मिलता है सच्चा सुख केवल हे कृष्ण तुम्हारे चरणो में,
यह विनती है पल पल रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में,
जिव्हा पर तेरा नाम रहेतेरी याद सुबह और शाम रहे,
और मन ना डगमग मेरा रहेबस ध्यान हो तुम्हारे चरणों में।
गोकुल मैं है जिनका वास, गोपियो संग करे निवास,
देवकी यशोदा है जिनकी मैया, ऐसे है हमारे कृष्ण कन्हैया।
कन्हैया बस तेरी रहमत पर नाज करते है,
इन आंखो को जब तेरा दीदार हो जाता है,
मेरा तो हर दिन सांवरे त्योहार हो जाता है।
काश मैं कोई ऐसा जुर्म करू की सजा मिले हर्जाने में,
मेरा जीवन बीते वृंदावन में और मौत मिले बरसाने में।
नन्दलाल की मोहनी सूरत दिल में बसा रखे है,
अपने जीवन को उन्ही की भक्ति लगा रखे है,
एक बार बाँसुरी की मधुर तान सुना दे कान्हा,
एक छोटी से आस लगा रखे है।
अभी तो बस इश्क़ हुआ है, कान्हा से,
मंजिल तो वृंदावन में ही मिलेगी।
मुझको मालूम नहीं अगला जन्म है की नहीं,
ये जन्म प्यार में गुजरेये दुआ मांगी है,
और कुछ मुझे जमानेसे मिले या ना मिले,
ए मेरे कान्हा तेरी मोहब्बत ही सदा मांगी है।
तू समझ ये बंदे, प्रभु तुझसे दूर नहीं,
भक्तों को कष्ट मिले, ये हमारे कान्हा को मंजूर नहीं।
बांके बिहारी का नाम लो सहारा मिलेगा,
ये जीवन न तुमको दुबारा मिलेगा,
डूब रही अगर कश्ती मझधार में,
कृष्णा के नाम से सहारा मिलेगा।
उन्होंने नस देखि हमारी और बीमार लिख दिया,
रोग हमने पूछा तो वृंदावन से प्यार लिख दिया,
कर्जदार रहेगे उम्र भर हम उस वैद के जिसने दवा में,
श्री राधे कृष्ण नाम लिख दिया।
गाय का माखन, यशोधा का दुलार,
ब्रह्माण्ड के सितारे कन्हैया का श्रृंगार,
सावन की बारिश और भादों की बहार,
नन्द के लाला को हमारा बार-बार नमस्कार।
ए जन्नत अपनी औकात में रहना,
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही,
हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में रहते है,
वहां तेरी भी कोई औकात नही।
साँवरे को दिल में बसा कर तो देखो,
दुनिया से मन को हटा के देखो,
बड़े ही दयालु हैं बाँके बिहारी,
एक बार चौखट पे दामन फैला कर तो देखो।
दौलत छोड़ी शोहरत छोड़ी सारा खजाना छोड़ दिया,
कृष्णा के प्रेम दीवानों ने सारा जमाना छोड़ दिया।