इस बार मिलने आऊंगा,
तोहफे में तुम्हारे लिए पायल लेकर आऊंगा,
जब चलोगी पहन कर,
तो मेरा इश्क़ छम छम गुंजेगा।
पैरों में जब पायल सजाई मैंने,
उस पायल ने नाम तुम्हारा लिया,
हाथों में मेहँदी लगायी मैंने,
मेहँदी में रंग तुम्हारे नाम से निखरा।
छम-छम करती पायल तेरी,
कानों में रस घोल गई,
तू तो राधे कुछ ना बोली,
तेरी झाँझर कान्हा-कान्हा बोल गई।
चूम कर तेरे पैरो को होंठों से अपने,
यह पायल आज उतार मैं ले जाऊँगा,
पहन जोड़ी, अपने पैरो में तेरे नाम की,
आज मैं, इश्क़ का वह गीत बनाऊंगा।
ना पुकारूंगी तूझे पायल की छम छम से,
ना पुकारूंगी तुझे कंगन की खन खन से,
अगर सुन सकते हो तो आ जाओ,
आज पुकारती हूं तुझे दिल की धड़कन से।
दिल धड़कने लगता है बड़ी जोर से,
सुनके तेरी पायल की झंकार,
ज़रा आहिस्ता आहिस्ता चला करो,
कुछ वक़्त तो मिले बेकरार दिल को संभालने का।
बहुत कमाल की पायल हैं उसकी,
पैरों में वो पहनती हैं,
झुनझुनाहट मेरे दिल में होती हैं।
उसकी पायल में छिपी है सावन की घटा,
वो हर शाख में बहार भर देती है,
रूकती है जहाँ खिलते है गुलाब,
गुज़रती जहाँ से आँख भर देती है।
पायल तेरी, झुमकी तेरी,
और ये जो नथनी नाक की,
हुस्न तो, जो है सो है,
ख़लिश हैं लोगों की आंख की।
चूड़ी भी जिद्द पे आई है,
पायल ने शौर मचाया है,
अब तो आजा परदेशी,
सावन का महिना आया है।