पगली दिल धड़कने लगता है बड़ी जोर से,
सुनके तेरी पायल की झंकार,
ज़रा आहिस्ता आहिस्ता चला करो,
कुछ वक़्त तो मिले बेकरार दिल को संभालने का।
बहुत कमाल की पायल हैं उसकी,
पैरों में वो पहनती हैं,
झुनझुनाहट मेरे दिल में होती हैं।
सुन तुम मेरे ख्वाबों में अपनी
पायल उतार कर आया करो,
तुम्हे पता नही, तेरी पायल की झंकार से
मेरा पूरा मोहल्ला, रात भर जगा रहता है।
उसकी पायल में छिपी है सावन की घटा,
वो हर शाख में बहार भर देती है,
रूकती है जहाँ खिलते है गुलाब,
गुज़रती जहाँ से आँख भर देती है।
ना पुकारूंगी तूझे पायल की छम छम से,
ना पुकारूंगी तुझे कंगन की खन खन से,
अगर सुन सकते हो तो आ जाओ,
आज पुकारती हूं तुझे दिल की धड़कन से।
चूम कर तेरे पैरो को होंठों से अपने,
यह पायल आज उतार मैं ले जाऊँगा,
पहन जोड़ी, अपने पैरो में तेरे नाम की,
आज मैं, इश्क़ का वह गीत बनाऊंगा।
मेरे आँगन के सन्नाटे को,
तेरी पायल की झंकार चाहिए,
झम झम बरसते एहसास ए सावन में ,
बस तुम्हारा प्यार चाहिए।
चूड़ी भी जिद्द पे आई है,
पायल ने शौर मचाया है,
अब तो आजा परदेशी,
सावन का महिना आया है।