लोग दौलत देखते है, हम इज्जत देखते है,
लोग मंजिल देखते है, हम सफर देखते है,
लोग दोस्ती बनाते है, और हम उसे निभाते है।
छोड़ दिया मैने लोगों के पीछे चलना,
क्योंकि मैंने जिसको जितनी ज्यादा इज्जत दी,
उसने मुझे उतना ही गिरा हुआ समझा।
आज हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं दोस्तो,
जहां बाप की इज्जत बेटी के हाथो मे होती है,
लेकिन बाप की जायदाद के कागज,
बेटों के हाथो के होते है।
इज़्ज़त हमेशा इज़्ज़तदार लोग ही करते है,
जिनके पास खुद इज़्ज़त नहीं,
वो किसी दूसरे को क्या इज़्ज़त देगे।
जो दूसरों को इज्जत देता है,
असल में वह खुद इज्जतदार होता है,
क्योंकि इंसान दूसरों को वही दे पाता है,
जो उसके पास होता है।
मोहब्बत की पहली शर्त इज्जत है,
जो इज्जत नही दे सकता,
वो सच्चा प्यार भी नही दे सकता।