उम्र भर की इज्जत आशिकी के नीलाम हुई,
मोहब्बत के नाम पर हादसों से मुलाकात हुई।
सोच रहे है सीख ले हम भी बेरुखी करना,
अपनी कदर खो दी है हमने सबको इज्जत देते देते।
लोगों से डरना छोड़ दो,
इज्जत ऊपरवाला देता है लोग नहीं।
छोड़ दिया मैने लोगों के पीछे चलना,
क्योंकि मैंने जिसको जितनी ज्यादा इज्जत दी,
उसने मुझे उतना ही गिरा हुआ समझा।
लड़ सको दुनिया से जज्बों में वो शिद्दत चाहिये,
इश्क करने के लिये इतनी तो हिम्मत चाहिये,
कम से कम मैंने छुपा ली देखकर सिगरेट तुम्हें,
और इस लड़के से तुमको कितनी इज्जत चाहिये।
न छेड़ा करो बात बात पे एडमिन को यारो,
पूरे ग्रुप में उसकी बेइज्जती खराब होती है।
गर्व करना है तो अपनी पिता की इज्जत पर करो,
धन पर नहीं,
इज्जत कमाने मे उम्र बीत जाती हैं,
और धन कभी भी कमा सकते हैं।
अच्छे लोगों की इज्जत कभी कम नहीं होती,
सोने के सौ टुकड़े करो पर कीमत कम नहीं होती।
औकात तो लोगों को डरा कर भी बनाई जा सकती है,
इज्जत कमाने के लिए प्यार बाँटना पड़ता है।
कभी कभी लोग मीठी मीठी बाते करके,
आपको इज्जत नहीं बल्कि धोका दे रहे होते है।