आजकल वह लोग हमें इज्जत करना सिखा रहे हैं,
जिन्हें अपनी इज्जत के आगे,
दूसरों की इज्जत की परवाह नहीं होती।
वक्त, ऐतबार और इज्जत ये ऐसे परिंदे हैं,
जो एक बार उड़ जाए तो वापस नहीं आते।
इज्जत दोगे तो इज्जत पाओगे,
अकड़ दिखाओगे तो हमारा कुछ नहीं उखाड़ पाओगे !
इज्जत किसी आदमी की नही, जरूरत की होती हैं,
जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म।
इज्जत भी मिलेगी दौलत भी मिलेगी,
सेवा करोगे माँ बाप की तो जन्नत भी मिलेगी।
औकात तो लोगों को डरा कर भी बनाई जा सकती है,
इज्जत कमाने के लिए प्यार बाँटना पड़ता है।
उस घर के किसी काम में कभी बरकत नहीं होती,
जिस घर में माँ बाप की इज्जत नहीं होती।
झुक जाते हैं जो लोग आपके लिए,
किसी भी हद तक,
वो सिर्फ आपकी इज्जत ही नहीं,
आपसे मोहब्बत भी करते हैं।
इज़्ज़त हमेशा इज़्ज़तदार लोग ही करते है,
जिनके पास खुद इज़्ज़त नहीं,
वो किसी दूसरे को क्या इज़्ज़त देगे।
लड़ सको दुनिया से जज्बों में वो शिद्दत चाहिये,
इश्क करने के लिये इतनी तो हिम्मत चाहिये,
कम से कम मैंने छुपा ली देखकर सिगरेट तुम्हें,
और इस लड़के से तुमको कितनी इज्जत चाहिये।