है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं,
है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशां होगा।
नहीं भूल सकते किसी भी बलिदान को,
हर शहीद का बदला लिया जायेगा।
शहीद हो गए जो ओढ़ तिरंगा, भारत मा की गोद में,
फिर होंगे ये वीर पैदा, किसी भारत माँ की गोद से।
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है,
उछल रहा है जमाने मे नाम-ऐ-आजादी।
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर लें,
जिसमें बहकर आजादी पहुंची थी किनारे,
देशभक्तों के खून की वो धारा याद कर लें।
मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ,
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।
जश्न आज़ादी का मुबारक हो देश वालों को,
फंदे से मोहब्बत थी वतन के मतवालो को।
मन को खुद ही मगन कर लो,
कभी-कभी शहीदों को भी नमन कर लो।
गुलाम बने इस देश को आजाद तुमने कराया है,
सुरक्षित जीवन देकर तुमने कर्ज अपना चुकाया है,
दिल से तुमको नमन हैं करते,
ये आजाद वतन जो दिलाया है।
भारतमाता तुम्हें पुकारे आना ही होगा,
कर्ज अपने देश का चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपनी जान की,
तुम्हे मरना भी होगा, मारना भी होगा।
ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा,
आज ये जन्नत-निशाँ हिन्दोस्ताँ आज़ाद है।
फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून,
मेरी नींद के लिए था।
बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर भी जिसकी हिफाजत की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसायें रखना।
करीब मुल्क के आओ तो कोई बात बने,
बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू शहीदों का,
उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।
मेरे वतन का राष्ट्रगान बंगा से है,
हमारे वतन की शान गंगा से है,
जो वीर मर मिटे देश की मिटटी पर,
उन शहीदों का अभिमान तिरंगा से है।
कुछ पन्ने इतिहास के
मेरे मुल्क के सीने में शमशीर हो गएँ,
जो लड़े, जो मरे वो शहीद हो गएँ,
जो डरे, जो झुके वो वजीर हो गएँ।
आज वो दिन आया हैं,
जब दिल को मगन कर लो,
हर शहीद को नमन कर लो।
जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती,
सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती,
वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।