चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर लें,
जिसमें बहकर आजादी पहुंची थी किनारे,
देशभक्तों के खून की वो धारा याद कर लें।
आज़ादी की कभी शाम नही होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नही होने देंगे,
बची हो जो इस बूँद भी गर्म लहू की,
तब तक भारत के आंचल नीलाम नही होने देंगे।
वो जवान जो शहीद हुआ,
अपने वतन को बचाते हुए,
एक बार दिल से याद कर लेना,
क्योकि वो शहीद हुआ आपको बचाते हुए।
शहीदों के त्याग को हम बदनाम नही होने देंगे,
भारत की इस आजादी की कभी शाम नही होने देंगे।
ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
देश के रखवाले है हम,
शेर-ए-जिगर वाले है हम,
शहादत से हमें क्यों डर लगेगा,
मौत के बांहों में पाले हुए है हम।
बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर भी जिसकी हिफाजत की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसायें रखना।
आज आसमान भी बहुत रोया है,
किसी गद्दार की वजह से,
मेरे देश ने एक फौजी खोया है।
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की क़ुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,
बची हो जो एक बूंद भी लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलम नहीं होने देंगे।
ना दे दौलत, ना दे शोहरत कोई शिकवा नहीं,
बस भारत मां की संतान बना देना,
हो जाऊं शहीद तो बस तिरंगे में लिपटा देना।
मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ,
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।
अब तो मेरी कलम भी रो पड़ी है,
शहीदों की शहादत लिखते लिखते।
सरहद तुम्हें पुकारे तुम्हें आना ही होगा,
कर्ज अपनी मिट्टी का चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपने जिस्मो-जां की,
तुम्हे मिटना भी होगा मिटाना भी होगा।
फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून,
मेरी नींद के लिए था।
जिसे सींचा खून से उसे हम कभी खो नहीं सकते,
धन चाह कर जहर हरगिज बो नहीं सकते,
वतन के नाम पर जीना देश के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।
मेरे वतन का राष्ट्रगान बंगा से है,
हमारे वतन की शान गंगा से है,
जो वीर मर मिटे देश की मिटटी पर,
उन शहीदों का अभिमान तिरंगा से है।
नहीं भूल सकते किसी भी बलिदान को,
हर शहीद का बदला लिया जायेगा।
उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई,
उनकी शहादत का कर्ज देश पर उधार हैं,
आप और हम इसलिए खुशहाल हैं,
क्योकि सीमा पे सैनिक शहादत को तैयार हैं।
उनके हौंसले का मुकाबला ही नहीं है कोई,
जिनकी कुर्बानी का कर्ज हम पर उधार है,
आज हम इसीलिए खुशहाल हैं क्यूंकि,
सीमा पे जवान बलिदान को तैयार है।