गर्व करना है तो अपनी पिता की इज्जत पर करो,
धन पर नहीं,
इज्जत कमाने मे उम्र बीत जाती हैं,
और धन कभी भी कमा सकते हैं।
आजकल वह लोग हमें इज्जत करना सिखा रहे हैं,
जिन्हें अपनी इज्जत के आगे,
दूसरों की इज्जत की परवाह नहीं होती।
लोग दौलत देखते है, हम इज्जत देखते है,
लोग मंजिल देखते है, हम सफर देखते है,
लोग दोस्ती बनाते है, और हम उसे निभाते है।
झुक जाते हैं जो लोग आपके लिए,
किसी भी हद तक,
वो सिर्फ आपकी इज्जत ही नहीं,
आपसे मोहब्बत भी करते हैं।
जो दूसरों को इज्जत देता है,
असल में वह खुद इज्जतदार होता है,
क्योंकि इंसान दूसरों को वही दे पाता है,
जो उसके पास होता है।