चलो फिर से खुद को जगाते हैं,
अनुशासन का डंडा फिर घुमाते हैं,
सुनहरा रंग हैं गणतंत्र का, शहीदों के लहूँ से,
ऐसे शहीदों को हम सर झुकाते हैं।
चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में हैं,
इन्कलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं,
मौत जहाँ जन्नत हो ये बात मेरे वतन में हैं,
कुर्बानी का जज्बा जिन्दा मेरे कफन में हैं।
बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर भी जिसकी हिफाजत की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसायें रखना।
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।
मन को खुद ही मगन कर लो,
कभी-कभी शहीदों को भी नमन कर लो।
करीब मुल्क के आओ तो कोई बात बने,
बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू शहीदों का,
उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।
जश्न आज़ादी का मुबारक हो देश वालों को,
फंदे से मोहब्बत थी वतन के मतवालो को।
जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती,
सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती,
वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।
फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून,
मेरी नींद के लिए था।
न आरजू जन्नत की न ही मौत की फिक्र,
चाहती है जिंदगी बस शहीदों में हो जिक्र।
यदि प्रेरणा शहीदों से नहीं लेंगे,
तो ये आजादी ढलती हुई साँझ हो जायेगी
और पूजे न गए वीर तो सच कहता हूँ,
कि नौजवानी बाँझ हो जायेगी।
लड़ें वो वीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फ़ौलाद हुआ,
मरते-मरते भी की मार गिराए,
तभी तो देश आज़ाद हुआ।
मेरे वतन का राष्ट्रगान बंगा से है,
हमारे वतन की शान गंगा से है,
जो वीर मर मिटे देश की मिटटी पर,
उन शहीदों का अभिमान तिरंगा से है।
वतन की मोहब्बत, दिल में दबाये बैठे है,
मरेगे वतन के लिए
शर्त, शहादत से लगाये बैठे हैं।
आज आसमान भी बहुत रोया है,
किसी गद्दार की वजह से,
मेरे देश ने एक फौजी खोया है।
जिसे सींचा खून से उसे हम कभी खो नहीं सकते,
धन चाह कर जहर हरगिज बो नहीं सकते,
वतन के नाम पर जीना देश के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की क़ुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,
बची हो जो एक बूंद भी लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलम नहीं होने देंगे।
तन की मोहब्बत में, खुद को तपाये बैठे हैं,
मरेंगे वतन के लिए, शर्त मौत से लगाये बैठे हैं।
जन्नत से बढकर वतन कर ले,
जय हिंद जय हिंद, वंदेमातरम्,
अमर शहीदों को नमन कर ले।
आओ झुक कर करें सलाम उन्हें,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
कितने खुशनसीब हैं वो लोग,
जिनका खून वतन के काम आता हैं।