Shahid Jawan Shayari in Hindi- शहीद जवान शायरी इन हिंदी
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गुलाम बने इस देश को आजाद तुमने कराया है,
सुरक्षित जीवन देकर तुमने कर्ज अपना चुकाया है,
दिल से तुमको नमन हैं करते,
ये आजाद वतन जो दिलाया है।
लड़ें वो वीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फ़ौलाद हुआ,
मरते-मरते भी की मार गिराए,
तभी तो देश आज़ाद हुआ।
है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं,
है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं।
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।
तन की मोहब्बत में, खुद को तपाये बैठे हैं,
मरेंगे वतन के लिए, शर्त मौत से लगाये बैठे हैं।
जश्न आज़ादी का मुबारक हो देश वालों को,
फंदे से मोहब्बत थी वतन के मतवालो को।
आओ झुक कर करें सलाम उन्हें,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
कितने खुशनसीब हैं वो लोग,
जिनका खून वतन के काम आता हैं।
आज आसमान भी बहुत रोया है,
किसी गद्दार की वजह से,
मेरे देश ने एक फौजी खोया है।
ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
अधिकार कोई देता नहीं लिए जाते हैं,
प्यार मांगने से पहले सम्मान दिए जाते हैं,
याद करो उन वीरों की कुर्बानी को,
जो इस धरती के लिए जान न्यौछावर किये जाते है।
चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में हैं,
इन्कलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं,
मौत जहाँ जन्नत हो ये बात मेरे वतन में हैं,
कुर्बानी का जज्बा जिन्दा मेरे कफन में हैं।
भारतमाता तुम्हें पुकारे आना ही होगा,
कर्ज अपने देश का चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपनी जान की,
तुम्हे मरना भी होगा, मारना भी होगा।
सरहद तुम्हें पुकारे तुम्हें आना ही होगा,
कर्ज अपनी मिट्टी का चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपने जिस्मो-जां की,
तुम्हे मिटना भी होगा मिटाना भी होगा।
ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा,
आज ये जन्नत-निशाँ हिन्दोस्ताँ आज़ाद है।
जब तक सांसे चले भारत मां तुझे प्रणाम करू,
अगर हो जाऊं शहीद तो,
तिरंगे में लिपटकर तेरा गुणगान करू।
करीब मुल्क के आओ तो कोई बात बने,
बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू शहीदों का,
उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।
जन्नत से बढकर वतन कर ले,
जय हिंद जय हिंद, वंदेमातरम्,
अमर शहीदों को नमन कर ले।
कभी सनम को छोड़ के देख लेना,
कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो,
मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना।
अब तो मेरी कलम भी रो पड़ी है,
शहीदों की शहादत लिखते लिखते।
तन मन धन अर्पित कर दो अभिनव अभियान को,
वंदन कर लो अमर शहीदों के खूनी बलिदान को,
हिम शिखरों से ऊंची कर दो हिंदुस्तानी शान को,
और वक्त पड़े तो मस्तक दे दो भारत स्वाभिमान को।
ना दे दौलत, ना दे शोहरत कोई शिकवा नहीं,
बस भारत मां की संतान बना देना,
हो जाऊं शहीद तो बस तिरंगे में लिपटा देना।
कुछ पन्ने इतिहास के
मेरे मुल्क के सीने में शमशीर हो गएँ,
जो लड़े, जो मरे वो शहीद हो गएँ,
जो डरे, जो झुके वो वजीर हो गएँ।
शहीदों के त्याग को हम बदनाम नही होने देंगे,
भारत की इस आजादी की कभी शाम नही होने देंगे।
करीब कभी आओ तो कोई बात बने,
बुझी आग को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू शहीदों का,
उसमें अपना खून मिलाओ तो कोई बात बने।
उनके हौंसले का मुकाबला ही नहीं है कोई,
जिनकी कुर्बानी का कर्ज हम पर उधार है,
आज हम इसीलिए खुशहाल हैं क्यूंकि,
सीमा पे जवान बलिदान को तैयार है।
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है,
उछल रहा है जमाने मे नाम-ऐ-आजादी।
जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती,
सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती,
वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।
वतन की मोहब्बत, दिल में दबाये बैठे है,
मरेगे वतन के लिए
शर्त, शहादत से लगाये बैठे हैं।
देश के रखवाले है हम,
शेर-ए-जिगर वाले है हम,
शहादत से हमें क्यों डर लगेगा,
मौत के बांहों में पाले हुए है हम।
उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई,
उनकी शहादत का कर्ज देश पर उधार हैं,
आप और हम इसलिए खुशहाल हैं,
क्योकि सीमा पे सैनिक शहादत को तैयार हैं।
जिसे सींचा खून से उसे हम कभी खो नहीं सकते,
धन चाह कर जहर हरगिज बो नहीं सकते,
वतन के नाम पर जीना देश के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।
नहीं भूल सकते किसी भी बलिदान को,
हर शहीद का बदला लिया जायेगा।
बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर भी जिसकी हिफाजत की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसायें रखना।
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की क़ुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,
बची हो जो एक बूंद भी लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलम नहीं होने देंगे।
मन को खुद ही मगन कर लो,
कभी-कभी शहीदों को भी नमन कर लो।
ख़ुशी ख़ुशी गले लगाया था शहीदों ने फांसी का फंदा,
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में।
फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून,
मेरी नींद के लिए था।
आज वो दिन आया हैं,
जब दिल को मगन कर लो,
हर शहीद को नमन कर लो।
शहीद हो गए जो ओढ़ तिरंगा, भारत मा की गोद में,
फिर होंगे ये वीर पैदा, किसी भारत माँ की गोद से।
आज़ादी की कभी शाम नही होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नही होने देंगे,
बची हो जो इस बूँद भी गर्म लहू की,
तब तक भारत के आंचल नीलाम नही होने देंगे।
यदि प्रेरणा शहीदों से नहीं लेंगे,
तो ये आजादी ढलती हुई साँझ हो जायेगी
और पूजे न गए वीर तो सच कहता हूँ,
कि नौजवानी बाँझ हो जायेगी।
जो देश के लिए शहीद हुए
उनको मेरा सलाम है,
अपने खूं से जिस जमीं को सींचा
उन बहादुरों को सलाम है।
न आरजू जन्नत की न ही मौत की फिक्र,
चाहती है जिंदगी बस शहीदों में हो जिक्र।
अगर माटी के पुतले देह में ईमान जिन्दा हैं,
तभी इस देश की समृद्धि का अरमान जिन्दा हैं,
ना भाषण से है उम्मीदें ना वादों पर भरोसा हैं,
शहीदों की बदौलत मेरा हिन्दुस्तान जिन्दा है।
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर लें,
जिसमें बहकर आजादी पहुंची थी किनारे,
देशभक्तों के खून की वो धारा याद कर लें।
मेरे वतन का राष्ट्रगान बंगा से है,
हमारे वतन की शान गंगा से है,
जो वीर मर मिटे देश की मिटटी पर,
उन शहीदों का अभिमान तिरंगा से है।
चलो फिर से खुद को जगाते हैं,
अनुशासन का डंडा फिर घुमाते हैं,
सुनहरा रंग हैं गणतंत्र का, शहीदों के लहूँ से,
ऐसे शहीदों को हम सर झुकाते हैं।
मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ,
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशां होगा।
वो जवान जो शहीद हुआ,
अपने वतन को बचाते हुए,
एक बार दिल से याद कर लेना,
क्योकि वो शहीद हुआ आपको बचाते हुए।