तुम छत पे नही आए मैं घर से नही निकला,
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओ में।
सावन की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में।
क्यो ज़ख्म दे रही है सावन की पहली बारिश,
बहुत याद आ रहे हैं हमको भुलाने वाले।
जब-जब घिरे बादल तेरी याद आई,
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आई।
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है,
ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है।
सावन की बूंदे दे रही है दस्तक,
इस साल का सावन आप सभी को मुबारक।
सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगे,
कलियाँ रंग में भीगेंगी फूलों में रस आएँगे,
हाँ वो मिलने आएँगे रहम भी कुछ फ़रमाएँगे,
हुस्न मगर चुटकी लेगा फिर क़ातिल बन जाएँगे।
आँखें मेरी सावन की तरह बरसती है,
उसे एक बार जी भरकर देखने को तरसती है।
अगर हृदय में प्रेम की बारिश हो,
तो हर मौसम सावन से कम नहीं होता।
ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरस,
जब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरस,
पहले ना बरस कि वो आ न सके,
जब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके।