सावन के महीने में भीगे थे हम साथ में,
अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में।
जब-जब घिरे बादल तेरी याद आई,
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आई।
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं,
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं।
जिसके दिल के अरमान अधूरे हो,
वहाँ सावन की बारिश ना हो।
वो भला क्यूँ कदर करते हमारे अश्को की,
सुना है सावन उनके शहर पर कुछ ज्यादा मेहरबान रहता है।
क्यो ज़ख्म दे रही है सावन की पहली बारिश,
बहुत याद आ रहे हैं हमको भुलाने वाले।
घायल है दिल मेरा तड़पता बोहोत है,
इन आंखों का सावन बरसता बोहोत है।
सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगे,
कलियाँ रंग में भीगेंगी फूलों में रस आएँगे,
हाँ वो मिलने आएँगे रहम भी कुछ फ़रमाएँगे,
हुस्न मगर चुटकी लेगा फिर क़ातिल बन जाएँगे।
गर्मी हो गयी थोड़ी कम,
क्यूंकि सावन का हुआ वेलकम,
महक लो इस बारिश में ,
कही ये ना हो जाये कम।